Shiva Panchakshara Stotram
- शिव जी मुख्य तीन देव (त्रिदेव) में से एक देव है। हिंदू धर्म के मुताबिक शिव जी त्रिनेत्र ( तीन आँखोंवाला ), भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ तथा देवों के देव महादेव आदि नामों से भी जाने जाते है।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र में गुरु शंकराचार्य द्वारा शिवजी का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है की वह मस्तक पर चंद्रमा तथा गंगा को धारण किए हुए हैं, उनके कण्ठ में सर्पों का हार है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय पर आधारित है।
शिव पंचाक्षर
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥2॥
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय ॥3॥
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
मूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय ॥4॥
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय ॥5॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं
यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति
शिवेन सह मोदते ॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का जो भी प्रतिदिन पाठ करता है उस पर महादेव की कृपा बनी रहती है। तथा वह शिवलोक को प्राप्त होता है।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ स्नानादि करके भगवान महादेव की मूर्ति या तस्वीर के सामने आसन पर बैठकर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए यदि मूर्ति या तस्वीर ना भी हो तो चलेगा। और जब भी रुद्राभिषेक आदि शिव संबंधी पूजा हो तो अंत तथा मध्य में इस स्तोत्र का पाठ करने से पूजा के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।स्तोत्र का पाठ छंद तथा लय में होना चाहिए।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र में 5 श्लोक है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि शंकराचार्य जी हैं।