संस्कृत स्तोत्र संग्रह
Durga saptashloki stotra | श्री दुर्गा सप्तश्लोकी | sanskrit stotra
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ॥1॥
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ॥2॥
श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्र | Shiva Panchakshara sanskrit Stotram
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥2॥
भज गोविन्दम स्तोत्र | Bhaja Govindam sanskrit Stotram
भज गोविन्दं भज गोविन्दं,
गोविन्दं भज मूढ़मते।
संप्राप्ते सन्निहिते काले,
न हि न हि रक्षति डुकृञ् करणे॥1॥
मूढ़ जहीहि धनागमतृष्णाम्,
कुरु सद्बुद्धिमं मनसि वितृष्णाम्।
यल्लभसे निजकर्मोपात्तम्,
वित्तं तेन विनोदय चित्तं॥2॥
शिव तांडव स्तोत्र | Shiva Tandava sanskrit Stotram
जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले
गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं
चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम् ॥1॥
जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वल ल्ललाटपट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम: ॥2॥
कनकधारा स्तोत्र | Kanakadhara Stotram
अगं हरे: पुलकभूषण माश्रयन्ती
भूङ्गाङ्गनेव मुकुलाधरणं तमालम्।
अगीकृताखिलविभतिरपागलीला
माङ्गल्यदास्तु मम मगळदेवतायाः ।।1।।
मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारे:
प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकरीव महोत्पले या
सा मे श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया: ।।2।।
श्री संकटनाशन गणेश स्तोत्र | sankat nashan ganesh, sanskrit stotra
प्रणम्य शिरसा देवं
गौरीपुत्रं विनायकम् ।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यं
आयुःकामार्थसिद्धये।
प्रथमं वक्रतुण्डं च
एकदन्तं द्वितीयकम् ।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं
गजवक्त्रं चतुर्थकम्।
श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र | Ganesha Pancharatnam, sanskrit stotra
मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्।
कला धराव तंसकं विलासि लोक रक्षकम्।
अनाय कैक नायकं विनाशि तेभ दैत्यकम्।
नता शुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्।।
नते तराति भीकरं नवो दितार्क भास्वरम्।
नमत् सुरारि निर्जरं नताधि काप दुद्धरम्।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम्।
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्।।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha kunjika stotram
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ।।१।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ।।२।।
गणेश अथर्वशीर्ष | ganesh atharvashirsha
ॐ नमस्ते गणपतये। त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।
त्वमेव केवलं कर्त्तासि। त्वमेव केवलं धर्तासि।
त्वमेव केवलं हर्तासि। त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।
त्वं साक्षादात्मासि नित्यम्। ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।
अव त्वं मां। अव वक्तारं। अव श्रोतारं। अव दातारं।
अव धातारम्। अवानूचानमव शिष्यं। अव पश्चात्तात्। अवं पुरस्तात्।
स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से आपकी आत्मा शुद्ध होती है और आपको मानसिक तनाव और चिंता से छुटकारा मिलता है। यह आपके दिमाग को शांत करता है और आपको एक समृद्ध जीवन जीने में मदद करता है।
स्तोत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय सुबह स्नान करने के तुरंत बाद है। उस समय आपका शरीर शुद्ध और स्वच्छ होता है इसलिए आपको उस समय मंत्र का जाप करना चाहिए।
स्तोत्र के जप से बुरी आत्माओं और विचार की भावना को दूर होती है और साथ ही रचनात्मक कंपन में सुधार होता है।
Regular reciting of Stotra purifies your soul and helps you get rid of mental stress and anxiety. It also calms your mind and helps you to live a prosperous life.
The best time to chant stotra is morning right after taking a bath. At that time your body is pure and clean, so you should recite the mantra at that time.
Chanting of hymn removes the feeling of evil spirits and thoughts and also improves creative vibrations.
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sanskrit stotro ka achha sangraha ha. Good
nice Stotra Collection