श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र | Ganesh Atharvashirsha in hindi

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Ganesha Pancharatnam Stotram

  • गणेश जी का नाम सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम लिया जाता है। इसलिए इन्हें गणपति, प्रथमपूज्य के नाम से पुकारा जाता है। गणेश जी शिवजी जी और पार्वती के पुत्र। और इनका मुख हाथी के समान होने के कारण गजानन आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है।
  • श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र में गणपति जी के गुणों का वर्णन श्लोकों द्वारा किया गया।यह प्राचीनतम स्तोत्र में से एक हैं और किसी भी मंगल कार्य को करने से पहले इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है।

श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्।
कला धराव तंसकं विलासि लोक रक्षकम्।
अनाय कैक नायकं विनाशि तेभ दैत्यकम्।
  नता शुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्।।

नते तराति भीकरं नवो दितार्क भास्वरम्।
नमत् सुरारि निर्जरं नताधि काप दुद्धरम्।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम्।
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्।। 2

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्य कुञ्जरम् ।
दरे तरो दरं वरं वरे भवक् त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम् ।
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।। 3

अकिं चनार्ति मार्जनं चिरन्त नोक्ति भाजनम् ।
पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम् ।
प्रपञ्च नाश भीषणं धनं जयादि भूषणम् ।
कपोल दान वारणं भजे पुराण वारणम् ।। 4

नितान्तकान्त दन्तकान् तिमन्त कान्त कात्मजम् ।
अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम् ।
रुदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनाम् ।
तमेकदन् तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ।। 5

महागणेश पञ्चरत्न मादरेण यो न्वहम् ।
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगता मदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रताम् ।
समाहिता युरष्ट भूति मभ्युपैति सो चिरात् ।। 6


Ganesha Pancharatnam Stotram PDF


Ganesha Pancharatnam Lyrics in English

Mudakaratha Modakam Sada Vimukthi Sadhakam
Kaladharavathamsakam Vilasi Lokarakshakam
Anaayakaik Nayakam Vinashitaibha Dhyathakam
Natha Shubhashu Nashakam Namami Tham Vinayakam .1

Nathetharathi Bheekaram Navodhitharka Bhaswaram
Namthsurari Nirjaram Nathadika Papaduddharam
Sureshwaram Nidhishwaram Gajeshwaram Ganeshwaram
Maheshwaram Thvamashraye Parathparam Nirantharam .2

Samastha Loka Shankaram Nirastha Dhaithya Kunjaram
Dare tharo daram Varam Vare Bhavakthra Maksharam
Kripakaram Kshamakaram Mudhakaram Yashaskaram
Manaskaram Namskrutham Namskaromi Bhaswaram .3

Akincha Narthi Marjanam Chirantha Nokthi Bhajanam
Purari Purva Nandanam Surari Garva Charvanam
Prapancha Nasha Bheeshanam Dhananjayadi Bhooshanam
Kapola Danavaranam Bhaje Purana Varanam .4

Nithantha Kantha Dhantha Kanthi Mantha Kantha Kathmajam
Achinthya Roopa Manthaheena Mantharaya Kranthanam
Hrudanthare Nirantharam Vasanthameva Yoginam
Thamekadantha Thvamevatham Vichintha Yami Santhatham .5

mahaganesa pancharatna madarena yon vaham
prajalpati prabhatake hṛdi smaran gaṇesvaram
arogatamadosatam susahitim suputratam
samahitayu rastabhuti mabhyupaiti sa chirat .6


श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र पाठ के लाभ ?

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती है, मन को शांति मिलती है, आपके जीवन के सभी प्रकार के बुराइयों को दूर रखता है और आपको स्वस्थ धनी और समृद्ध बनाता है।

श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र का पाठ कैसे करे ?

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र पाठ के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने महा गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। स्तोत्र का पाठ छंद तथा लय में होना चाहिए।

श्री गणेश पंच रतं स्तोत्र में कितने श्लोक है ?

श्री गणेश पंच रतं स्तोत्र में कुल 6 श्लोक है।

श्री गणेश पंच रतं स्तोत्र के रचयिता कौन है ?

श्री गणेश पंच रतं स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य जी हैं।


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