Sanskrit Shlok on father | पिता पर संस्कृत श्लोक

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fathers day

sanskrit shlok on father

पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥
पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च।
तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते॥
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥
मातरं पितरंश्चैव यस्तु कुर्यात् प्रदक्षिणम्।
प्रदक्षिणीकृता तेन सप्तदीपा वसुन्धरा॥

Hindi Translation:- पद्मपुराण में कहा गया है कि पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। जिसकी सेवा और सदगुणों से पिता-माता संतुष्ट रहते हैं, उस पुत्र को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य मिलता है। माता सर्वतीर्थमयी है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है। इसलिये सब प्रकार से माता-पिता का पूजन करना चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा करने से पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है।

English Translation:- My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased.Whose service and virtues keep father and mother satisfied, That son gets the blessings of bathing in the Ganges every day. Mother is omniscient and father is the form of all deities. That is why parents should be worshiped in every way. The orbit of the parents revolves around the earth.


पन्चान्यो मनुष्येण परिचया प्रयत्नतरू ।
पिता माताग्निरात्मा च गुरुश्च भरतर्षभ ।।

Hindi Translation:- भरतश्रेष्ठ ! पिता, माता अग्नि, आत्मा और गुरु – मनुष्य को इन पांच अग्नियों की बड़े यत्न से सेवा करनी चाहिए।

English Translation:- Bharat Shrestha! Father, Mother fire, Soul and Master – Human beings should serve these five fire diligently.


सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो भ्राता दया सखी।
शान्ति: पत्नी क्षमा पुत्रः षडमी मम बान्धवाः।।

Hindi Translation:- सवाई मेरी माता है। ज्ञान पिता है। धर्म भाई है। और दया सहेली है। शान्ति पत्नी और क्षमा पुत्र है। ये छः मेरे बन्धु हैं।

English Translation:- Truth is my mother, knowledge is my father, righteousness is my brother, compassion is my friend, peace is my wife and patience is my son. These six are my kith and kin


पिता पर संस्कृत श्लोक

जनकश्चोपनेता च यक्ष विद्यां प्रयच्छति।
अन्नदाता भयत्राता पश्चैते पितरः स्मृताः।।

Hindi Translation:- जन्मदाता, उपनयन संस्कारकर्ता, विद्या प्रदान करने वाला, अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला ये पांच व्यक्ति को पिता कहा गया है।

English Translation:- One who gives birth, one who initiates, one who imparts knowledge, one who provides food and protects from fear these five are considered as fathers.


मातृपितृकृताभ्यासो गुणितामेति बालकः ।
न गर्भच्युतिमात्रेण पुत्रो भवति पण्डितः ।।

Hindi Translation:- माता और पिता के कारित अभ्यास से बालक विद्वान बनता है न कि गर्भ से बाहर आते ही बिना पुरुषार्थ के ही विद्वान् बन जाता है।

English Translation:- The child taught by mother and father becomes qualified , the child doesn’t become learned just by being born.


Sanskrit Shlok on father

पिता स्वर्गः पिता धर्मः पिता परमकं तपः ।
पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवताः ॥

Hindi Translation:- मेरे पिता मेरे स्वर्ग हैं, मेरे पिता मेरे धर्म हैं, वे मेरे जीवन की परम तपस्या हैं। जब वे खुश होते हैं, तब सभी देवता खुश होते हैं !

English Translation:- My Father is my heaven, my father is my dharma, he is the ultimate penance of my life. If he is happy, all deities are pleased.


सर्वतीर्थमयी  माता  सर्वदेवमयः  पिता 
मातरं पितरं तस्मात्  सर्वयत्नेन पूजयेत् 

Hindi Translation:- मनुष्य के लिये उसकी माता सभी तीर्थों के समान तथा पिता सभी देवताओं के समान पूजनीय होते है।अतः उसका यह परम् कर्तव्य है कि वह् उनका अच्छे से आदर और सेवा करे।

English Translation:- To a person his mother is an object of veneration and his  father is like all the Gods combined. It is, therefore, his sacred duty that he should revere and serve both of them with utmost care and attention.


जनकश्चोपनेता च यश्च विद्यां प्रयच्छति।
अन्नदाता भयत्राता पश्चैते पितरः स्मृताः॥

Hindi Translation:- जन्मदाता, उपनयन संस्कारकर्ता, विद्या प्रदान करने वाला अन्नदाता और भय से रक्षा करने वाला – ये पांच व्यक्ति को पिता कहा गया है।

English Translation:- One who gives birth, one who initiates, one who imparts knowledge, one who provides food and protects from fear – these five are considered as fathers.


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