Durga Saptashati Dhyan | दुर्गा सप्तशती ध्यान
ॐ खड्गं चक्रगदेषुचाप परिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिर
शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम्।
नीलाश्मद्युतिमास्य पाददशकां सेवे महाकालिकां
यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम्॥१॥
om khadgam chakra gadesuchapa parigha sulam bhusundim siraḥ
shamnkham sandadhatim karaistrinayanam sarvamngabhusavrtam ।
nilasmadyuti masyapadadasakam seve mahakalikam
yamastotsvapite haro kamalajo hantum madhum kaitbham॥
Hindi Translation:- भगवान विष्णु के क्षीर सागर में शयन करने पर दैत्य मधु कैटभ के संहार के लिए ब्रह्मा जी ने जिनकी स्तुति की थी, उन महाकाली देवी का मैं स्मरण करता हूँ। वे अपने दस भुजाओँ में क्रमशः खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, शूल, भुशुण्डि, मस्तक और शंख धारण करती हैं। वह तीन नेत्रोँ से युक्त हैं और उनके संपूर्ण अंग दिव्य आभूषणों से सुशोभित हैं। नीलमणि के समान उनके शरीर की आभा है एवं वे दस मुख तथा पैरों वाली हैं।
English Translation:- Whom Brahma had praised for the destruction of the demon Madhu Kaitabha when Lord Vishnu slept in the Kshirsagar, I worship that Mahakali Devi. She holds Khadga, Chakra, Mace, Arrow, Dhanush, Parigha, Shool, Bhusundi, Head and Conch in her ten arms respectively. He is endowed with three eyes and his entire limbs are adorned with divine ornaments. Her body has an aura resembling sapphire and she is ten-faced and footed.
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