Durga Saptashati Dhyan | दुर्गा सप्तशती ध्यान
ॐ घण्टा शूल हलानि शङ्खमुसले चक्रं धनुः सायकं
हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।
गौरी देह समुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा-
पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्॥
om ghanta shulahalani shankha musale chakram dhanuh sayakam
hastabjairdhadatim ghanantavilasachChitamsutulyaprabham।
gauri deha samudbhavam trijagatam adharabhutam maha
purvamatra sarasvati manubhaje shumbhadidaityardinim॥
Hindi Translation:- जो अपने कर कमलों में घण्टा, शूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं, शरद ऋतु के शोभा सम्पन्न चन्द्रमा के समान जिनकी मनोहर कान्ति है, जो तीनों लोकों की आधारभूत और शुंभ आदि दैत्यों का नाश करनेवाली हैं तथा गौरी के शरीरसे जिनका प्राकट्य हुआ है, उन महासरस्वती देवीका मैं निरन्तर भजन करता हूँ।
English Translation:-Who wears a bell, a prong, a plow, a conch, a pestle, a wheel, a bow and an arrow in their lotuses, Like the moon full of autumn, who has a beautiful radiance, Who is the foundation of the three worlds and destroyer of demons like Shumbh etc.
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