chanakya niti
- आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र का विद्वान माना जाता है। इन्होंने नंद वंश का नाश करके मौर्य वंश की स्थापना की जिसके राजा चंद्रगुप्त मौर्य हुई।
- जिन नीतियों के द्वारा उन्होंने नंद वंश का नाश करा तथा राजा चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया वही नीतियां हमें आज प्रख्यात पुस्तक चाणक्य नीति में मिलती है उसी का एक छोटा अंश जिसमें 10 श्लोक हैं हम आपके सामने आज रखते हैं जो कि हर किसी के लिए लाभकारी साबित होंगे।
- नीचे हमने 10 श्लोकों के अर्थ और भावार्थ दोनों साथ दिए है। भावार्थ के द्वारा बताया गया है कि चाणक्य श्लोक के माध्यम से क्या ज्ञान या सीख देना चाहते हैं….
आचार्य चाणक्य
ते पुत्रा ये पितुर्भक्ताः सः पिता यस्तु पोषकः।
तन्मित्रं यत्र विश्वासः सा भार्या या निवृतिः॥
English meaning:- The child is the one who serves his father. The father is the only one who can take care of his entire family. Friend is the one who can be trusted and the wife is the one who always keeps you happy.
हिंदी अर्थ := संतान वही है जो अपने पिता की सेवा करे। पिता वही है जो अपने पूरे परिवार का लालन-पालन कर सकें। मित्र वही है जिस पर विश्वास किया जा सके और पत्नी वही है जो आपको हमेशा खुश रखें।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि एक परिवार कैसा होता है या परिवार के लोगों में किस प्रकार के गुण होने चाहिए। सर्वप्रथम संतान। संतान अपने पिता की सेवा, आदर सम्मान, बात मानने वाला होना चाहिए। एक इच्छा पिता वही है जो अपने पूरे परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकें। एक सच्चा मित्र वही है जो भरोसे, विश्वास के लायक हो एक अच्छी पत्नी वही है जो आपको हमेशा खुश एवं आपका ध्यान रखती हो।
चाणक्य नीति
प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥
English meaning :- Man must behave like a lion to achieve his goal.The way a lion keeps an eye on its prey, watches it with concentration and tries to catch prey with all its strength. Similarly, human beings should also do any work with full strength and concentration.
हिंदी अर्थ := मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शेर की तरह व्यवहार करना चाहिए। जिस तरह एक शेर अपने शिकार पर नजर रख एकाग्रता के साथ उसको देखता है और अपनी पूरी ताकत के साथ शिकार पकड़ने का प्रयास करता है। उसी प्रकार मनुष्य को भी पूरी ताकत और एकाग्रता के साथ कोई भी कार्य करना चाहिए।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि किसी भी मनुष्य को अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए या पूरा करने के लिए एक शेर की तरह व्यवहार करना चाहिए जिस तरह एक शेर अपने शिकार को एकाग्रता के साथ उसको देखता है और अपनी पूरी ताकत के साथ शिकार पकड़ने का प्रयास करता है। शेर हमेशा अपना पूर्ण बल लगाकर शिकार करता है चाहे वह शिकार छोटा हो या बड़ा इसी प्रकार मनुष्य को भी अपने हर छोटे-बड़े कार्यों में एकाग्रता के साथ अपना पूर्ण बल लगाना चाहिए।
आचार्य चाणक्य
यस्मिन्देशे न सम्मानो नवृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्॥
English meaning :- A country where you don’t get respect. Where there is no livelihood and where there is no brother etc. Where there is no means of acquiring knowledge, one should never reside in such a place.
हिंदी अर्थ := ऐसा देश जहां आपको सम्मान ना मिलता हो। जहां कोई आजीविका का साधन ना हो और जहां भाई बंधु आदि कोई ना रहता हो। जहां विद्या प्राप्त करने का कोई साधन ना हो ऐसी जगह पर कभी भी निवास नहीं करना चाहिए।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि किस देश या स्थान पर नहीं रहना चाहिए। ऐसी जगह या देश जहां आपको सम्मान, सत्कार ना मिलता हो। जहां कोई रोजी रोटी (आजीविका) का कोई साधन ना हो। जहां आपका कोई भाई बंधु (मित्र) आदि न रहता हो और जहां पर ज्ञान आर्जित करने का कोई साधन ना हो। ऐसे देश या स्थान पर रहने का कोई फायदा नहीं होता।
चाणक्य नीति श्लोक अर्थ सहित
चाणक्य नीति
नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्।
छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः॥
English meaning :- Man should not be simple and upright. Just as the first straight trees are cut in the trees of the forest. Similarly, a man of straight and simple nature would be used by slick and clever people for his own benefit.
हिंदी अर्थ := मनुष्य को सरल और सीधे स्वभाव का नहीं बनना चाहिए। जिस प्रकार जंगल के वृक्षों में सबसे पहले सीधे वृक्षों को काटा जाता है उसी प्रकार सीधे और सरल स्वभाव के मनुष्य को चालाक और चतुर लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि मनुष्य को इस तरह के स्वभाव का नहीं होना चाहिए। वह कहते हैं कि मनुष्य को सरल और सीधे स्वभाव का नहीं बनना चाहिए अर्थात जो मनुष्य अत्यंत सीधे तथा सरल स्वभाव वाला होता है उसे चालक और चतुर लोग उनके सीधे स्वभाव का गलत फायदा उठाते हैं। जिस प्रकार जंगल के सीधे वृक्षों को काटने में आसानी होती है तथा सीधे वृक्ष ही काम में ज्यादा उपयोगी होती है।
आचार्य चाणक्य
कः कालः कानि मित्राणि को देशः कौ व्ययागमौ।
कश्चाहं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः॥
English meaning :- Which time is right. Who is my friend. Which country or place is correct. What is the right way to earn money and what is the right way to spend money. Discussion should be repeated on your ability etc.
हिंदी अर्थ := कौन सा समय सही है। कौन मेरा मित्र है। कौन सा देश या स्थान सही है। पैसे कमाने का सही साधन क्या है और पैसे खर्च करने के सही तरीके क्या है। अपनी क्षमता आदि पर बार-बार विचार विमर्श करते रहना चाहिए।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि मनुष्य को अपने लिए क्या सही है क्या गलत। अपनी ताकत और अपनी कमजोरी के बारे में पता होना चाहिए। जैसे किसी भी कार्य को करने के लिए कौन सा समय सही है।कौन मेरा मित्र है और कौन नहीं। कोई भी कार्य करने के लिए कौन सा देश या स्थान सही है। पैसे कमाने तथा पैसे खर्च करने का सही तरीका और मनुष्य की क्या शक्ति है और क्या कमजोरी है वह भी उसे पता होना चाहिए।
चाणक्य नीति
प्रलये भिन्नमर्यादा भवन्ति किल सागराः।
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलयेऽपि न साधवः॥
English meaning :- When the catastrophe falls in the sea, she forgets the limits and breaks the edges. But gentle men do not forget their dignity in front of any kind of holocaust.
हिंदी अर्थ := समुद्र में प्रलय आने पर वह मर्यादा भूल किनारों को तोड़ देती है। लेकिन सज्जन पुरुष किसी भी प्रकार की प्रलय के सामने अपनी मर्यादा नहीं भूलते।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि एक सज्जन पुरुष किस प्रकार का होता है तथा उसकी क्या विशेषता होती है। वह कहते है कि जिस प्रकार समुद्र में प्रलय आने पर वह मर्यादा भूल जाती है और किनारों को तोड़ देती है। लेकिन सज्जन पुरुष किसी भी प्रकार की प्रलय रूपी समस्या के सामने अपनी मर्यादा नहीं भूलते अर्थात नहीं घबराते।
chanakya niti sloka
आचार्य चाणक्य
विषादप्यमृतं ग्राह्यममेध्यादपि काञ्चनम्।
नीचादप्युत्तमां विद्यांस्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।।
English meaning :- If possible, even from the poison, take out the nectar. If the gold has fallen in the dirt, pick it up. If someone is born in a lower family and he gives you knowledge, then adopt it. In the same way, if any infamous house girl who is of good quality, if you learn something, then she should also respect it.
हिंदी अर्थ := विष मे से भी हो सके तो अमृत निकाल ले। यदि सोना गंदगी मे गीरा हो तो उसे उठा ले। यदि कोई निचले कुल मे जन्मा हो और वह आपको ज्ञान देता है तो उसे अपनाये। उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की लड़की जो अच्छे गुणो वाली हो यदि आपको कुछ सीख देती है तो उसे भी गहण करे।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि किसी भी अच्छे ज्ञान तथा अच्छी वस्तु को ले लेना चाहिए। चाहे वह कहीं पर भी हो या किसी के भी द्वारा मिल रही हो। जैसे विष मे से भी अमृत निकाल ले। यदि सोना गनदगी मे गीरा हो तो उसे उठा ले। यदि कोई निचले कुल मे जन्मा लेने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाये। उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणो वाली हो और वह आपको कुछ सीख देती है तो उसे भी गहण करे।
चाणक्य नीति
कामधेनुगुना विद्या ह्यकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥
English meaning :- Earning knowledge It is like a Kamadhenu (cow) that always gives milk. is like a mother who protects you at every turn. That is why learning is called a secret wealth.
हिंदी अर्थ := विद्या अर्जित करना यह एक कामधेनु के समान है जो हमेशा दूध देती रहती है। एक मां जैसी होती है जो हर मोड़ पर आपकी रक्ष करती है। इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा विद्या का महत्व बताया गया है। विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु गाय के समान है जो हमेशा दूध देती है। एक मां जैसी होती है जो हर मोड़ पर आपकी रक्ष अवं हितकारी होती है। इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है।
आचार्य चाणक्य
हस्तीस्थूलतनु: स चाड़्कुशवश: किं हस्तिमात्रोड़्कुशो
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तम: किं दीपमात्रं तम:।
वज्रेणापि हता: पतन्ति गिरय: किं वज्रमात्रो गिरिस्
तेजो यस्य विराजते स बलवान स्थूलेषु क: प्रत्यय:।।
English meaning :- The largest elephant can be kept under control with a small ankush (tuul). While ankush (Tool) is very small compared to elephant. One such lamp burns out the darkness. Due to lightning on the mountain, the mountain can also fall. Is the size of electricity as high as a mountain? No, no matter how much each thing or human has grown, it doesn’t matter. How does his quality, strength, and intensity matter.
हिंदी अर्थ := बड़े से हाथी को छोटी सी अंकुश से काबू में रखा जा सकता है। जबकि हाथी के तुलना भी अंकुश बहुत ही छोटा है। ऐसे ही एक दीपक जलने से अंधकार नष्ट हो जाता है। बड़े से पर्वत को बिजली की एक चोट भी गिरा सकती है। क्या बिजली का आकार पर्वत जितना होता है? नहीं अर्थात् प्रत्येक वस्तु तेज के कारण ही बलवान होती है। लंबे चौड़े शरीर पर कोई भरोशा नहीं किया जा सकता है।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि जरूरी नहीं कि जो चीज बड़ी हो उतनी ही ताकतवर होगी जैसे एक बड़े से हाथी को छोटी सी अंकुश (छड़ी) से काबू में रखा जा सकता है। जबकि हाथी के तुलना भी छड़ी बहुत ही छोटी है। ऐसे ही एक दीपक जलने से अंधकार नष्ट हो जाता है। क्या अंधकार दीपक के आकर का होता है? बड़े से पर्वत को बिजली की एक चोट भी गिरा सकती है। क्या बिजली का आकार पर्वत जितना होता है? नहीं अर्थात् प्रत्येक वस्तु या मनुष्य कितना बढ़ा है इससे फर्क नहीं पड़ता उसका गुण, बल, तेज कैसा है इससे फर्क पड़ता है।
चाणक्य नीति
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मं: ।
ते मत्र्य लोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।।
English meaning :- The person who does not have knowledge. A person who does not meditate or donate. The man who does not even have knowledge and humility and a man who does not even practice virtue and religion, roams in this world in the form of animals.
हिंदी अर्थ := जिस मनुष्य के पास विद्या नहीं है। जो मनुष्य तप या दान नहीं करता। जिस मनुष्य के पास ज्ञान, नम्रता भी नहीं है और जो गुण और धर्म का आचरण भी नहीं करता ऐसा मनुष्य पशुओं के रूप मैं इस संसार में घूमता रहता है।
भावार्थ := यहां चाणक्य द्वारा बताया गया है कि मनुष्य के पास क्या नहीं होने पर वह एक पशु के समान हो जाता है। सर्वप्रथम विद्या। जिस मनुष्य के पास विद्या नहीं है। जो मनुष्य तप या दान नहीं करता। जिस मनुष्य के पास ज्ञान नहीं है। जिसमें सौम्यता, विनय, नम्रता नहीं है और जो गुणों और धर्मो का आचरण नहीं करता ऐसा मनुष्य इस संसार में पशुओं के रूप मैं घूमता रहता है।
चाणक्य के जन्म के बारे में कुछ भी स्पष्ट उल्लेख नहीं है, फिर भी उनका जन्म बौद्ध धर्म के मुताबिक (अनुमानतः ईसापूर्व 375 – ईसापूर्व 283) में तक्षशिला के कुटिल नामक एक ब्राह्मण वंश में हुआ था।
आचर्य चाणक्य के पिता का नाम ऋषि चणक व माता का नाम चणेश्वरी था।
आचार्य चाणक्य को “चाणक्य” के अलावा कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है।
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Nice shloka
Thank you Mukesh
अपने आचार्य चाणक्य के श्लोक का अच्छा हिंदी अर्थ और भावार्थ दिया है |
धन्यवाद बंटी