मुनिवरविकसित | Munivara Vikasitha | संस्कृत गीत

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सुन्दरसुरभाषा

मुनिवरविकसित कविवरविलसित

मञ्जुलमञ्जूषा, सुन्दरसुरभाषा ।
अयि मातस्तव पोषणक्षमता
मम वचनातीता, सुन्दरसुरभाषा ॥ ॥मुनिवर॥

वेदव्यास-वाल्मीकि-मुनीनाम् 
कालिदास-बाणादिकवीनाम् ।
पौराणिक-सामान्य-जनानाम्
जीवनस्य आशा, सुन्दरसुरभाषा ॥१॥ ॥मुनिवर॥

श्रुतिसुखनिनदे सकलप्रमोदे
स्मृतिहितवरदे सरसविनोदे ।
गति-मति-प्रेरक-काव्यविशारदे
तव संस्कृतिरेषा, सुन्दरसुरभाषा ॥२॥ ॥मुनिवर॥

नवरस-रुचिरालङ्कृति-धारा
वेदविषय-वेदान्त-विचारा ।
वैद्य-व्योम-शास्त्रादि-विहारा
विजयते धरायां, सुन्दरसुरभाषा ॥३॥ ॥मुनिवर॥

श्री नारायण भट्ट


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