संस्कृत सूक्तियाँ (हिन्दी और अंग्रेजी अर्थ सहित) | Sanskrit Quote

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संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। यह हमें जीवन, नैतिकता, और संबंधों के बारे में गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सुभाषित छोटे लेकिन गहन और सारगर्भित श्लोक होते हैं जो जीवन को दिशा देने वाली सीख देते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ सुंदर संस्कृत सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अर्थ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है।

सूक्ति

“अन्यायं कुरुते यदा क्षितिपतिः कस्तं निरोद्धुं क्षमः।”

हिंदी में अर्थ : जब राजा (शासक) अन्याय करता है, तो उसे रोकने की क्षमता किसके पास होती है?

English Translation : When a king (ruler) commits injustice, who has the power to stop him?

व्याख्या : यह सुभाषित एक गहरी सामाजिक और राजनीतिक वास्तविकता पर प्रकाश डालता है। जब शासक या सत्ता में बैठे व्यक्ति अन्यायपूर्ण कार्य करते हैं, तो उनके कार्यों को रोकने या उन पर नियंत्रण करने की शक्ति किसी के पास नहीं होती। शासक का पद और उसकी शक्ति इतनी प्रबल होती है कि सामान्य नागरिक, और कभी-कभी यहां तक कि अधिकारी भी, उसे चुनौती देने में असमर्थ होते हैं। यह सुभाषित हमें सोचने पर मजबूर करता है कि एक न्यायपूर्ण शासक का होना कितना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अन्यायकारी शासक के अत्याचार से समाज को बहुत अधिक कष्ट होता है। इसी कारण से शासक को अपनी शक्ति का सदुपयोग करना चाहिए और न्याय का पालन करना चाहिए।

Explanation : This subhashita sheds light on a profound social and political truth. When a ruler or person in power engages in acts of injustice, no one has the power or authority to challenge or restrain them. The position and power of a ruler are so strong that ordinary citizens, and sometimes even officials, are unable to stand against their wrongdoings. This verse makes us reflect on the importance of having a just ruler, as an unjust ruler’s tyranny can bring great suffering to society. It emphasizes that those in power should exercise their authority with responsibility and fairness to ensure justice prevails.


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