संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। यह हमें जीवन, नैतिकता, और संबंधों के बारे में गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सुभाषित छोटे लेकिन गहन और सारगर्भित श्लोक होते हैं जो जीवन को दिशा देने वाली सीख देते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ सुंदर संस्कृत सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अर्थ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है।
सूक्ति
“अनन्यगामिनी पुंसां कीर्तिरेका पतिव्रता।”
हिंदी में अर्थ : पुरुषों के लिए केवल एक ही चीज़ पतिव्रता स्त्री के समान होती है, और वह है उनकी कीर्ति (यश), जो कभी अन्यत्र नहीं जाती।
English Translation : For men, their fame (or reputation) is like a devoted wife, remaining loyal and unwavering.
व्याख्या : यह सुभाषित यह बताता है कि कीर्ति (यश) पुरुष के जीवन में वैसी ही होती है जैसे एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के प्रति समर्पित होती है। जिस प्रकार एक पतिव्रता स्त्री का प्रेम और निष्ठा अपने पति के प्रति एकनिष्ठ होती है, ठीक उसी प्रकार किसी पुरुष की कीर्ति भी एक जगह केंद्रित रहती है और अनन्य होती है। यह यश हमेशा पुरुष के साथ चलता है, बशर्ते कि वह अपने कार्यों से उसे अर्जित करे और उसे बनाए रखे। यह सुभाषित हमें यह भी सिखाता है कि कीर्ति या यश को बनाए रखना कठिन है, और इसके लिए सच्चाई, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा आवश्यक है।
Explanation : This subhashita illustrates that a man’s fame or reputation is as loyal and devoted as a virtuous wife. Just as a devoted wife is unwavering in her commitment to her husband, similarly, a man’s fame remains with him loyally if he has earned it through noble actions. It stays constant and does not falter or shift easily. The verse emphasizes the importance of maintaining one’s reputation with integrity and righteousness, as fame is precious and requires continuous effort to uphold, just like the loyalty of a devoted spouse.