संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। यह हमें जीवन, नैतिकता, और संबंधों के बारे में गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सुभाषित छोटे लेकिन गहन और सारगर्भित श्लोक होते हैं जो जीवन को दिशा देने वाली सीख देते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ सुंदर संस्कृत सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अर्थ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है।
सूक्ति
“अधर्मविषवृक्षस्य पच्यते स्वादु किं फलम्।”
हिंदी में अर्थ : अधर्म रूपी विषैले वृक्ष का फल क्या कभी मीठा हो सकता है?
English Translation : Can the fruit of the poisonous tree of unrighteousness ever be sweet?
व्याख्या : यह सुभाषित बताता है कि अधर्म या अनैतिकता से प्राप्त किया गया कोई भी परिणाम कभी सुखद या आनंददायक नहीं हो सकता। जैसे विषैले वृक्ष से केवल जहरीला फल ही प्राप्त होता है, उसी प्रकार अधर्म से उत्पन्न कार्यों का परिणाम भी कष्टदायक और विनाशकारी होता है। यह हमें जीवन में नैतिकता और धर्म के मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है, क्योंकि केवल सही और सच्चे कार्यों से ही मीठे और सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। अधर्म का रास्ता भले ही तत्काल लाभ दे, लेकिन अंततः वह दुखदायी ही होता है।
Explanation : This subhashita emphasizes that any result derived from unrighteousness or immoral actions can never be truly pleasant or beneficial. Just as a poisonous tree bears only toxic fruits, similarly, actions born of unrighteousness lead to painful and destructive outcomes. It teaches us the importance of walking the path of morality and righteousness in life, as only through virtuous actions can we achieve sweet and positive results. While the path of unrighteousness may offer immediate gains, it ultimately leads to suffering and harm.