संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। यह हमें जीवन, नैतिकता, और संबंधों के बारे में गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सुभाषित छोटे लेकिन गहन और सारगर्भित श्लोक होते हैं जो जीवन को दिशा देने वाली सीख देते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ सुंदर संस्कृत सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अर्थ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है।
सूक्ति
“अतृणे पतितो वह्नि: स्वयमेवोपशाम्यति।”
हिंदी में अर्थ : बिना घास के स्थान पर गिरी हुई आग स्वयं ही बुझ जाती है।
English Translation : Fire that falls on a place without grass extinguishes itself.
व्याख्या : यह सुभाषित बताता है कि यदि किसी समस्या या विपत्ति का सामना करने के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ या संसाधन नहीं होते, तो वह समस्या या विपत्ति स्वतः ही समाप्त हो जाती है। जैसे बिना ईंधन के आग जल नहीं सकती और स्वाभाविक रूप से बुझ जाती है, उसी प्रकार जब किसी व्यक्ति के पास अनुकूल परिस्थिति या सहयोग नहीं होता, तो कोई भी विपत्ति या नकारात्मकता उसे अधिक समय तक परेशान नहीं कर सकती। यह हमें यह सिखाता है कि कभी-कभी हमें धैर्य रखना चाहिए और यह देखना चाहिए कि समय के साथ समस्याएँ स्वतः समाप्त हो सकती हैं।
Explanation : This subhashita conveys that when a challenge or difficulty does not have the necessary resources or conditions to sustain itself, it naturally fades away. Just as fire cannot burn without fuel and extinguishes on its own when it falls on a place without grass, similarly, problems or negative situations that lack favorable conditions or support will eventually disappear. This teaches us that sometimes patience is the best course of action, and with time, many problems resolve on their own.