संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। यह हमें जीवन, नैतिकता, और संबंधों के बारे में गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सुभाषित छोटे लेकिन गहन और सारगर्भित श्लोक होते हैं जो जीवन को दिशा देने वाली सीख देते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ सुंदर संस्कृत सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अर्थ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है।
सूक्ति
“अति लोभो न कर्तव्यः।”
हिंदी में अर्थ : अत्यधिक लोभ नहीं करना चाहिए।
English Translation : Excessive greed should be avoided.
व्याख्या : यह सुभाषित हमें सिखाता है कि लोभ, विशेषकर अति लोभ, मनुष्य के लिए हानिकारक होता है। जब कोई व्यक्ति अत्यधिक लोभ करता है, तो वह अपनी सीमाओं को भूलकर अनुचित कार्यों में लिप्त हो सकता है। अधिक पाने की लालसा अक्सर व्यक्ति को गलत दिशा में ले जाती है और उसे नैतिकता और आदर्शों से दूर कर देती है। यह सुभाषित हमें इस बात की शिक्षा देता है कि संतोष और सीमाओं का पालन करना आवश्यक है, क्योंकि अति लोभ न केवल समाज के लिए बल्कि स्वयं व्यक्ति के जीवन के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
Explanation : This subhashita teaches us that excessive greed can be harmful to individuals. When a person becomes overly greedy, they may forget their moral boundaries and engage in unethical actions to satisfy their desires. The craving for more often leads one down a path that strays from morality and righteousness. This verse emphasizes the importance of contentment and moderation, as excessive greed can be detrimental not only to society but also to the individual’s own well-being.