संस्कृत सूक्तियाँ (हिन्दी और अंग्रेजी अर्थ सहित) | Quote

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संस्कृत भाषा में ज्ञान का भंडार छिपा हुआ है। यह हमें जीवन, नैतिकता, और संबंधों के बारे में गहन दृष्टिकोण प्रदान करती है। सुभाषित छोटे लेकिन गहन और सारगर्भित श्लोक होते हैं जो जीवन को दिशा देने वाली सीख देते हैं। इस ब्लॉग में हम कुछ सुंदर संस्कृत सुभाषित प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अर्थ हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में दिया गया है।

सूक्ति

“आरब्धम् उत्तमजनाः न परित्यजन्ति।”

हिंदी में अर्थ : उत्तम व्यक्ति (सज्जन) जो कार्य प्रारंभ करते हैं, उसे बीच में नहीं छोड़ते।

English Translation : Noble individuals do not abandon the task they have started.

व्याख्या : उत्तम या सज्जन व्यक्ति किसी भी काम को एक बार शुरू करने के बाद उसे अधूरा नहीं छोड़ते। वे पूरी मेहनत और समर्पण के साथ उस काम को अंत तक पूरा करने का प्रयास करते हैं, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ या चुनौतियाँ सामने क्यों न आएं। उनका विश्वास होता है कि जो काम उन्होंने आरंभ किया है, उसे पूरा करना ही उनका कर्तव्य है। अधूरा छोड़ना उनके स्वभाव में नहीं होता, क्योंकि वे दृढ़ निश्चयी होते हैं और अपने कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी समझते हैं।

Explanation : Noble or virtuous individuals do not abandon a task once they have begun it. They put in their full effort and dedication to see the task through to the end, no matter how difficult or challenging it may become. These individuals believe that it is their duty to finish what they start, and leaving something incomplete is not in their nature. Their determination and sense of responsibility drive them to complete every task they take on.


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