Kalabhairava Ashtakam Shloka Shuula Tanka | कालभैरवाष्टक स्तोत्र
Shuula Tanka meaning | शूल टङ्क अर्थ
शूल टङ्क पाश दण्ड पाणिमादि कारणंश्याम काय मादि देव मक्षरं निरामयम् ।भीम विक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डवप्रियंकाशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥३॥
Shuula-Tanka-Paasha-Danndda-Paannim-Aadi-KaarannamShyaama-Kaayam-Aadi-Devam-Akssaram Nir-Aamayam |Bhiimavikramam...
Kalabhairava Ashtakam Shloka Bhanu Koti Bhimavaram| कालभैरवाष्टक स्तोत्र
Bhanu Koti Bhimavaram meaning | भानु कोटि भास्वरं अर्थ
भानु कोटि भास्वरं भवाब्धितारकं परंनील कण्ठ मीप्सितार्थ दायकं त्रिलोचनम् ।काल काल मंबुजा क्षमक्ष शूल मक्षरंकाशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥२॥
Bhaanu-Kotti-Bhaasvaram Bhavaabdhi-Taarakam...
Kalabhairava Ashtakam Shloka Devraj Sevaman| कालभैरवाष्टक स्तोत्र
Devraj sevaman meaning | देवराज सेव्यमान अर्थ
देव राज सेव्य मान पावनांघ्रि पङ्कजंव्याल यज्ञ सूत्र मिन्दु शेखरं कृपा करम् ।नारदादि योगि वृन्द वन्दितं दिगंबरंकाशिका पुराधि नाथ कालभैरवं भजे ॥१॥
Deva-Raaja-Sevyamaana-Paavana-Angghri-PankajamVyaala-Yajnya-Suutram-Indu-Shekharam...
Durga Saptashati Chapter 5 Dhyan | दुर्गा सप्तशती पंचम अध्याय ध्यान
Durga Saptashati Dhyan | दुर्गा सप्तशती ध्यान
ॐ घण्टा शूल हलानि शङ्खमुसले चक्रं धनुः सायकंहस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।गौरी देह समुद्भवां त्रिजगतामाधारभूतां महा-पूर्वामत्र सरस्वतीमनुभजे शुम्भादिदैत्यार्दिनीम्॥
om ghanta shulahalani shankha musale chakram dhanuh sayakamhastabjairdhadatim ghanantavilasachChitamsutulyaprabham।gauri...
Durga Saptashati Chapter 4 Dhyan | दुर्गा सप्तशती चतुर्थ अध्याय ध्यान
Durga Saptashati Dhyan | दुर्गा सप्तशती ध्यान
ॐ कालाभ्राभां कटाक्षैररिकुलभयदां मौलिबद्धेन्दुरेखांशड्खं चक्रं कृपाणं त्रिशिखमपि करैरुद्वहन्तीं त्रिनेत्राम्।सिंहस्कन्धाधिरूढां त्रिभुवनमखिलं तेजसा पूरयन्तींध्यायेद् दुर्गां जयाख्यां त्रिदशपरिवृतां सेवितां सिद्धिकामैः॥
om kalabhrabham kataksair ari kula bhayadam moli...
Durga Saptashati Chapter 3 Dhyan | दुर्गा सप्तशती तृतीय अध्याय ध्यान
Durga Saptashati Dhyan | दुर्गा सप्तशती ध्यान
ॐ उद्यद्भानु सहस्र कान्ति मरुण क्षौमां शिरो मालिकांरक्ता लिप्त पयोधरां जपवटीं विद्यामभीतिं वरम्।हस्ताब्जैर्दधतीं त्रिनेत्र विलसद्वक्त्रारविन्दश्रियंदेवीं बद्धहिमांशुरत्नमुकुटां वन्देऽरविन्दस्थिताम्॥
om udyadbhanu sahasrakanti marunaksaumam siromalikamraktalipta payodharam japavatim...