Bhagavad Gita Chapter 5 Shloka 1 | श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद् भगवद् गीता पंचम अध्याय कर्मसंन्यासयोग
अर्जुन उवाचसंन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि |यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम् || १ ||
arjuna uvāchasannyāsaṁ karmaṇāṁ kṛiṣhṇa punar yogaṁ cha śhansasiyach chhreya etayor...
Srimad Bhagavad Gita Chapter 4 | ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
भगवद गीता अध्याय 4 ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
4.14.24.34.44.54.64.74.84.94.104.114.124.134.144.154.164.174.184.194.204.214.224.234.244.254.264.274.284.294.304.314.324.334.344.354.364.374.384.394.404.414.42
Chapter 3
Chapter 5
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Bhagavad Gita Chapter 4 Shloka 42 | श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मन: |छित्त्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत || ४२ ||
tasmād ajñāna-sambhūtaṁ hṛit-sthaṁ jñānāsinātmanaḥchhittvainaṁ sanśhayaṁ yogam ātiṣhṭhottiṣhṭha bhārata
Hindi Translation:- इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन ! तू...
Bhagavad Gita Chapter 4 Shloka 41 | श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
योगसंन्यस्तकर्माणं ज्ञानसञ्छिन्नसंशयम् |आत्मवन्तं न कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय || ४१ ||
yoga-sannyasta-karmāṇaṁ jñāna-sañchhinna-sanśhayamātmavantaṁ na karmāṇi nibadhnanti dhanañjaya
Hindi Translation:- हे धनञ्जय ! जिसने कर्मयोगी की विधि से...
Bhagavad Gita Chapter 4 Shloka 40 | श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति |नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मन: || ४० ||
ajñaśh chāśhraddadhānaśh cha sanśhayātmā vinaśhyatināyaṁ loko ’sti na paro na sukhaṁ sanśhayātmanaḥ
Hindi...
Bhagavad Gita Chapter 4 Shloka 39 | श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय: |ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति || ३९ ||
śhraddhāvānllabhate jñānaṁ tat-paraḥ sanyatendriyaḥjñānaṁ labdhvā parāṁ śhāntim achireṇādhigachchhati
Hindi Translation:- जितेन्द्रिय साधन परायण और...