महाभारत का परिचय | Introduction to the Mahabharata

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Mahabharata

महाभारत (Mahabharata)का परिचय।

लौकिक संस्कृत में रामायण के बाद महाभारत Mahabharata का नाम आता है।

रामायण (Ramayana) को संस्कृत साहित्य का आदिकाव्य कहा जाता है, तथा महाभारत को इतिहास ग्रंथ।

यह विश्वसाहित्य का विशाल ग्रंथ है। वर्तमान रूप में इसमें एक लाख श्लोक हैं। इसे संस्कृत साहित्य की सबसे अनोखी कृतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह ग्रंथ हर एक भारतीय के लिये एक उदाहरणात्मक स्रोत है।

महाभारत की मुख्य घटना कौरव पाण्डवों का युद्ध है। महाभारत का सर्वश्रेष्ठ भाग श्रीमद्भगवद्गीता है जिसमें श्रीकृष्ण इस जीवन का पूर्ण दर्शन बोध अर्जुन को करवाते हैं।

महाकवि कालिदास ने अपने नाटक आभिज्ञानशाकुन्तलम् ‘ का तथा महाकवि श्री हर्ष ने ‘ नैषधीमचरित ‘ का कथानक महाभारत से ही लिया है।

महाभारत कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास द्वारा रचित है। ये सत्यवती व पराशर के पुत्र थे :- 

व्यासः  सत्यवतीसुतः । 


कृष्णवर्ण होने के कारण इनका नाम कृष्ण पड़ा और यमुना के द्वीप में जन्म लेने के कारण, वे द्वैपायन कहलाए। वैदिक मंत्रों को चार संहिताओं में विभाजित करने के कारण इनका नाम व्यास पड़ा

‘ विव्यास वेदान् यस्मात्सः तस्मान् व्यास इति स्मृतः ‘


महाकाव्य का लेखन ।

महाभारत का लेखन भगवान श्री गणेश ने किया था। ब्रह्मा के कहने पर व्यास भगवान गणेश के पास गए और उनसे प्रार्थना की के वह महाभारत का लेखन कार्य करे। गणेश लिखने को तैयार हो गये, महर्षि वेदव्यास जी बोलते जाते थे और श्री गणेश लिखते जाते थे।

इस प्रकार सम्पूर्ण महाभारत तीन वर्ष तक सतत् अथक परिश्रम कर के वेद व्यास ने महाभारत जैसे महान् ग्रंथ की रचना की :-

त्रिभिर्वर्षे : सदोत्थायी कृष्णद्वैपायनो मुनिः ।
महाभारतमाख्यानं कृतवानिदमद्भुतम् ।।

आदिपर्व ।।

महाभारत के 18 पर्वों के नाम

नंबरपर्व के नामअध्याय एवम श्लोक संख्या
1.आदि पर्व227/7900
2.सभा पर्व78/2511
3.वन पर्व269/11664
4.विराट पर्व67/2050
5.उद्योग पर्व186/6698
6.भीष्ण पर्व117/5884
7.द्रोण पर्व170/8909
8.कर्ण पर्व79/4964
9.शल्य पर्व59/3220
10.सौप्तिक पर्व18/870
11.स्त्री पर्व27/775
12.शांति पर्व339/14732
13.अनुशासन पर्व186/8000
14.अश्वमेध पर्व / अश्वमेधिकापर्व103/3320
15.आश्रमवासिक पर्व82/1506
16.मौसल पर्व8/320
17.महाप्रस्थानिक पर्व3/123
18.स्वर्गारोहण पर्व5/207

यह महाभारत 18 पर्वो के नाम है। इसके अतिरिक्त इसमें परिशिष्ट के रूप में हरिवंश पुराण / पर्व (12000) जोड़ा गया है।


महाभारत की कहानी | Story of Mahabharata

आदि पर्व में चंद्रवंश का विस्तार वर्णन मिलता है तथा कौरवों और पांडवों की उत्पत्ति का भी वर्णन है। सभापर्व में द्यूतक्रीडा, वनपर्व में पाण्डवों के 12 वर्ष तक वन में रहने का,

विराट पर्व में उनका सेवकों के रूप में मत्स्य नरेश विराट के यहाँ गुप्त रूप से रहने का, उद्योग पर्व में कृष्ण का दूत रूप में कौरवों के पास जाना और कौरवों द्वारा संधि प्रस्ताव न माने जाने पर दोनों पक्षों की तरफ से युद्ध की तैयारियों का वर्णन है।

भीष्म पर्व नैतिक शिक्षाओं से भरपूर है। गीता भी इसी पर्व में है। द्रोण पर्व में अभिमन्यु वध का, द्रोणाचार्य के करु सेना के अधिपति होने का तथा उनके वध का वर्णन हे,

कर्ण पर्व में कर्ण के सेनापति होने का तथा उसके वध का वर्णन है। शल्यपर्व में शल्य के सेनापति होने पर तथा उसके वध का वर्णन है।

सौप्तिक पर्व में अश्वत्थामा द्वारा रात में सोते हुए पाण्डव-पुत्रों का धोखे से वध करने का वर्णन है। स्त्रीपर्व में स्त्रियों के विलाप का वर्णन है।

शांति और अनुशासन पर्वों में तिरो की शय्या पर लेटे हुए भीष्म युधिष्ठिर को राजधर्म, आपद् धर्म और मोक्षधर्म के बारे में उपदेश देते हैं। अश्वमेध यज्ञ का वर्णन है।

आश्रमवासी पर्व में धृतराष्ट्र और गांधारी के वानप्रस्थ आश्रम में जाने का, मौसल पर्व में मूसल द्वारा यादवों के नाश का तथा व्याध का बाण लगने से श्रीकृष्ण की मृत्यु का वर्णन है।

महाप्रस्थानिक पर्व में पाण्डवों द्वारा अर्जुन के पौत्र परीक्षित को राज्यभार सौंप कर स्वर्ग की ओर जाने का तथा स्वर्गारोहण पर्व में पाण्डवों द्वारा द्रौपदी सहित स्वर्ग प्राप्त कर लेने का वर्णन है। हरिवंश पुराण कृष्ण के वंशज, उनके जन्म व जीवन से संबंधित है।



महाभारत की तीन अवस्थाएँ | Three states of Mahabharata

महाभारत का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि प्रारंभ में इसका स्वरूप बहुत संक्षिप्त रहा होगा।

कौरवों और पाण्डवों के युद्ध का वर्णन करना ही इसका मुख्य उद्देश्य रहा होगा।

परंतु जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे मानव जीवन के सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, नैतिक व आर्थिक पक्षों से संबधित विषयों का समावेश भी इसमें कर दिया गया।

अन्य राजाओं ओर वीर गाथाओं से संबंधित आख्यान भी इसमें जुड़ गये। यह वीर काव्य से विश्वकोष बन गया और पञ्चम वेद की संज्ञा को प्राप्त कर गया।

महर्षि वेदव्यास ने इस विषय में स्वयं ही कहा है कि:-

धर्म चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ ।
इदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित् ।।


यह प्रक्रिया सैकड़ों वर्षों तक चलती रही होगी। पाश्चात्य तथा भारतीय विद्वानों का मत है कि वर्तमान रूप को प्राप्त करने से पूर्व महाभारत के तीन क्रमिक विकास हुए- जय, भारत, महाभारत।

इन तीन नामों का उल्लेख प्राय: उपलब्ध सभी संस्करणों में किया गया है। जय का उल्लेख इस प्रकार है:-

नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तम ।
देवी सरस्वती व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ।


भारत नाम का उल्लेख अधोलिखित है:-

चतुर्विंशतिसाहस्री चक्रे भारतसंहिताम् ।
उपाख्यानैर्विना तावद् भारतं प्रोच्यते बुधैः


इस ग्रंथ का तृतीय व अंतिम रूप महाभारत कहलाया:-

महत्त्वाद् भारवत्त्वाच्च महाभारतमुच्यते ।।

इसके अतिरिक्त महाभारत के आदि पूर्व में इन तीनों अवस्थाओं के मंत्रों की संख्या का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है। महाभारत की प्रथम अवस्था में जब उसका नाम जय था उसमें 8800 श्लोक थे :-

1. अष्टौ श्लोकसहस्राणि अष्टौ श्लोकशतानि च ।
अहं वेदमि शुको वेत्ति , संजयो वेत्ति वा न वा ।

2. जयनामेतिहासोऽयं श्रोतव्यो विजिगीषुणा ।।


महाभारत की दूसरी अवस्था में जब उसका नाम ‘ भारत ‘ था उसमें 24000 श्लोक थे:-

चतुर्विंशतिसाहस्री चक्रे भारतसंहिताम् ।
उपाख्यानैर्विना तावद् भारतं प्रोच्यते बुधैः ।।


महाभारत की तीसरी अवस्था में उसमें एक लाख श्लोक होने का निर्देश किया गया है:-

‘ इति श्रीमन्महाभारते शतसाहय्यां वैयासिक्यांसंहितायाम्

प्रथमः सर्ग:

महाभारत की रचना किसने की थी?

महाभारत कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास (Krishna Dvaipayana Veda Vyasa) द्वारा रचित है।

वेदव्यास के पिता का नाम क्या है?

वेदव्यास के पिता का नाम पराशर Parashara है।

वेदव्यास के माता का नाम क्या है?

वेदव्यास के पिता का नाम सत्यवती Satyavati है।

महाभारत में कितने पर्व हैं?

महाभारत में 18 पर्व हैं।

महाभारत के 18 पर्व के नाम

महाभारत के 18 पर्व के नाम वे हैं:- आदि, सभा, वन, विराट, उद्योग ,भीष्ण, द्रोण, कर्ण, शल्य, सौप्तिक, स्त्री, शांति ,अनुशासन, अश्वमेध, आश्रमवासिक, मौसल, महाप्रस्थानिक और स्वर्गारोहण। इसके अतिरिक्त इसमें परिशिष्ट के रूप में हरिवंशपुराण जोड़ा गया है।

गीता महाभारत के कौन से पर्व का हिस्सा है?

गीता महाभारत के भीष्म पर्व का हिस्सा है।


महाभारत में कितने श्लोक है

महाभारत में एक लाख (one lakh) श्लोक हैं। ‘ इति श्रीमन्महाभारते शतसाहय्यां वैयासिक्यांसंहितायाम् (प्रथमः सर्ग: )


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