परशुराम जयंती |Parashurama Jayanti (अक्षय तृतीया-Akshaya Tritiya )

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  • भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की जयंती हर साल अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है। यह वैशाख के महीने में शुक्ल पक्ष तृतीया के दौरान पड़ता है। माना जाता है कि इस दिन परशुराम जी का जन्म हुआ था।

परशुराम जी को माता-पिता भक्त तथा आज्ञाकारी संतान माना जाता है। वाह तेजस्वी ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष है तथा हिंदू धर्म ग्रंथों में यहां मान्यता मिलती है कि कुल सात लोगों को अमरता का वरदान प्राप्त है-

  1. हनुमान: शिव अवतार तथा राम परम भक्त हनुमान जी को राम मर्दा का वरदान दिया था।
  2. अश्वत्थामा: हिंदू धर्म ग्रंथ महाभारत के मुताबिक अश्वत्थामा ने पांडवों के पांचों पुत्रों को खत्म कर दिया था इसी वजह से अश्वत्थामा को दुनिया के आखिर ( विनाश ) तक भटकने का श्राप मिला था।
  3. विभीषण : राम को रावण को मारने का तरीका बताने वाले विभीषण को भी अमरता का वरदान मिला था।
  4. बाली: भगवान विष्णु के वामन अवतार को अपना सब कुछ दान देने वाले राजा बलि को भी अमरता का वरदान मिला था
  5. व्यास: महाभारत लिखने वाले वेद व्यास को अमरता का वरदान प्राप्त था, व्यास का असल नाम ऋषि कृष्ण द्वैपायन था।
  6. कृपाचार्य: कौरवों और पांडवों को अस्त्र शस्त्रों का ज्ञान देने वाले कृपाचार्य को वरदान मिला था ।
  7. परशुराम: अमरता का वरदान पाने वाले सातवें जन परशुराम है।

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभिषण:कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविनः

परशुराम जयंती का महत्व

  • परशुराम जयंती को – अक्षय तृतीया, परशुराम द्वादशी, भी कहा जाता है। यह दिन सभी के लिए खास तो होता ही है पर यह दिन ब्राह्मणों के लिए भी खास होता है क्यू की परशुराम जी को ब्राह्म्ण जाति का कुल गुरु माना जाता है तथा जो भी ब्राह्मण इस दिन किसी भी प्रकार की पूजा संध्या आदि करता है उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। राज्यो में इस दिन सार्वजनिक अवकाश भी होता है।

यह जयंती अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए भी मनाई जाती है। क्यू की परशुराम जी ने भी क्षत्रियों के अन्याय के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया और 21 बार क्षत्रियों का विनाश किया। यह कथा कुछ इस प्रकार से है-

परशुराम जी के पिता ऋषि जमदग्नि को राजा हयहैय ने एक गाय दान में दी थी, राजा के बेटे कृत अर्जुन और कृतवीर्य अर्जुन गाय वापस मांगने लगे पर जमदग्नि ने गाय लौटने से मना कर दिया , तो राजाओं ने बल पूर्वक गाय छीन ली। पिता का अपमान देख कर परशुराम जी क्रोधित हो गए और उन्होंने जाकर राजा का वध कर दिया। राजा के सम्बन्धियों ने प्रतिशोध की भावना से जमदग्नि का वध कर दिया। इस पर परशुराम ने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय-विहीन कर दिया (हर बार हताहत क्षत्रियों की पत्नियाँ जीवित रहीं और नई पीढ़ी को जन्म दिया) अंत में पितरों की आकाशवाणी सुनकर उन्होंने क्षत्रियों से युद्ध करना छोड़कर तपस्या की ओर ध्यान लगाया।

कैसे मनाते हैं परशुराम जयंती

  • परशुराम जयंती के दिन पूरे भारत में पूजा हवन इत्यादि किया जाता है। तथा लोगों के बीच में भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। भारत के कई राज्यों स्कूल तथा कॉलेजों में परशुराम जयंती का अवकाश रहता है।

परशुराम नाम की कहानी

  • परशुराम जी का नाम बचपन से परशुराम नहीं था उनकी माता ने इनका नाम राम रखा था। लेकिन उनकी पिता की आज्ञा थी कि वह हिमालय पर्वत जाएं और भगवान शिव की साधना करें। अपनी पिता की आज्ञा मानकर वह हिमालय जाकर भगवान शंकर की साधना करने लगे इस साधना से भगवान शंकर प्रसन्न हुए तथा उन्होंने एक परशु (फरसा) दीया जिसके कारण इनका नाम आगे जाकर परशुराम पड़ाAkshaya Tritiya

अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया का पावन पर्व वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय ना हो यानी जो कभी नष्ट ना हो, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उनका अनेकों गुना फल मिलता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया तिथि का विशेष महत्व है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. इस दिन बिना पंचांग देखे भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने परशुराम के रुप में अवतर अक्षय तृतीया के दिन ही लिया था. इसलिए परशुराम का जन्मउत्सव भी इसी दिन मनाया जाता है.

कोरोन के चलते कैसे करे अक्षय तृतीया के दिन पूजा

अक्षय तृतीया के दिन सुभे सुभे उठकर शौच तथा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने शांत चित्त होकर विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा में नैवेद्य में जौ, गेहूँ, ककड़ी और चने की दाल अर्पित की जाती है। तत्पश्चात फल, फूल, बरतन, तथा वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाती है। गौ, भूमि, स्वर्ण पात्र इत्यादि का दान भी इस दिन किया जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल अथवा सफेद या पीले गुलाब से करनी चाहिये।

अक्षय तृतीया में पूजा के लाभ

अक्षय तृतीया में भगवान विष्णु जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति रहती है तथा जातक की हर मनोकामना पूर्ण होती है। पूजा के बाद ब्राह्मण को भोजन करवाना कल्याणकारी समझा जाता है। ऐसा भी माना जाता है की इस दिन जिन-जिन वस्तुओं का दान किया जाएगा, वे समस्त वस्तुएँ स्वर्ग या अगले जन्म में प्राप्त होगी।


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