विद्युन्माला | Vidyunmala
छन्द का नामकरण :-
- विद्युन्माला का अर्थ ‘बिजली की माला‘ है। जैसा कि आपको विदित होगा कि कुछ छन्द नपुसंकलिंग में और कुछ छन्द स्त्रीलिंग में होते है।
- इस प्रकार यह छन्द भी स्त्रीलिंग में प्रयुक्त हुआ है। इस छन्द में विशेष भावों को प्रकट करने के लिए अभिव्यक्त है।
- विद्युन्माला अर्थात् इसका दूसरा नाम ‘विद्युत् लेखा’ है जो नाट्यशास्त्र के सोलहवें अध्याय के अनुसार एक प्रकार के अक्षरात्मक छन्द को संन्दर्भित करता है।
- इस छन्द के प्रत्येक चरण में सभी आठ अक्षर गुरु हैं। यह क्षेमेन्द्र कृत ‘सुवृत्ततिलक’ में वर्णित 27 छन्दों में से एक को सन्दर्भित करता है जिसका उल्लेख वृत्तरत्नावली में हुआ है।
विद्युन्माला छन्द परिचय :-
- विद्युन्माला छन्द के प्रत्येक चरण में 8 वर्ण है तथा सम्पूर्ण श्लोक में 32 अक्षर है।
- इस छन्द के प्रत्येक चरण में दो मगण और दो गुरु होते हैं (मगण,मगण,गुरु,गुरु)।
- यही व्यवस्था चारों चरणों में होगी क्योंकि यह समवृत्त छन्द है।
- इस छन्द के पाद के अन्त में यति होती है।
विद्युन्माला छन्द का लक्षण :-
- गंगादास छन्दोमंजरी तथा वृत्तरत्नाकर में विद्युन्माला छन्द का लक्षण इस प्रकार दिया है:-
‘मो मो गो गो विद्युन्माला’
छन्दोमंजरी / वृत्तरत्नाकर
लक्षणार्थ:- इस छन्द में क्रमशः दो सर्वगुरु मगण तथा दो गुरु वर्ण हो तो वह विद्युन्माला छन्द कहलाता है।
- पिंगल छन्द सूत्र में विद्युन्माला छन्द का लक्षण इस प्रकार दिया गया है:-
‘ विद्युन्माला मौ गौ ‘
छन्द सूत्र
लक्षणार्थ:- जिस छन्द में दो मगण तथा दो गुरु वर्ण हों तो वह विद्युन्माला छन्द कहलाता है।
विद्युन्माला छन्द का उदाहरण :-
मौनं ध्यानं भूमौ शय्या
काव्यमाला
गुवीं तस्याः कामावस्था
मेघोत्सङ्गे नृत्तासक्ता
यस्मिन्काले विद्युन्माला ॥
अच्युत, केशव, राम, नारायण, कृष्ण, दामोदर, वासुदेव, हरि, श्रीधर, माधव, गोपिकावल्लभ तथा जानकीनायक रामचन्द्रजी को मैं भजता हूँ।
उदाहरण विश्लेषण :-
- विद्युन्माला छन्द में आने वाले गण एवं उनके चिन्ह :-
मगण मगण गुरु गुरु
ऽऽऽ ऽऽऽ ऽ ऽ
प्रथमपाद | मौनं ध्या | नं भूमौ | श | य्या |
गण | मगण | मगण | गुरु | गुरु |
चिन्ह | ऽऽऽ | ऽऽऽ | ऽ | ऽ |
द्वितीयपाद | गुवीं त | स्याः कामा | व | स्था |
चिन्ह/गण | ऽऽऽ(मगण) | ऽऽऽ(मगण) | ऽ(गुरु) | ऽ(गुरु) |
तृतीयपाद | मेघोत्स | ङ्गे नृत्ता | स | क्ता |
चिन्ह/गण | ऽऽऽ(मगण) | ऽऽऽ(मगण) | ऽ(गुरु) | ऽ(गुरु) |
चतुर्थपाद | यस्मिन्का | ले विद्यु | न्मा | ला |
चिन्ह/गण | ऽऽऽ(मगण) | ऽऽऽ(मगण) | ऽ(गुरु) | ऽ(गुरु) |
अतः नियम से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत श्लोक में विद्युन्माला छन्द है।
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- इस प्रकार जिसके प्रत्येक पाद में आठों अक्षर गुरु हों तो उसे विद्युन्माला छन्द कहते हैं। इस छन्द के प्रत्येक चरण में चार-चार अक्षरों पर विराम होता है अर्थात् साँस चार-चार अक्षरों पर लेना पड़ता है।
सामान्य प्रश्न
विद्युन्माला छन्द का लक्षण “मो मो गो गो विद्युन्माला“।
विद्युन्माला छन्द का उदाहरण :-
“मौनं ध्यानं भूमौ शय्या
गुवीं तस्याः कामावस्था
मेघोत्सङ्गे नृत्तासक्ता
यस्मिन्काले विद्युन्माला ॥“
विद्युन्माला छन्द के प्रत्येक चरण में 8 अक्षर है तथा चारों चरणों (श्लोक) में 32 अक्षर होते हैं।
विद्युन्माला छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश दो मगण और दो गुरु आते है।