शार्दूलविक्रीडित छन्द | Shardulvikridit Chhand

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शार्दूलविक्रीडित | Shardulvikridit

शार्दूलविक्रीडित छन्द परिचय :-

  • शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में 19 अक्षर है तथा सम्पूर्ण श्लोक में 76 अक्षर है।
  • इस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश मगण सगण जगण सगण और दो तगण एक गुरू होते हैं (मगण,सगण,जगण,सगण,तगण,तगण,गुरू)।
  • यही व्यवस्था चारों चरणों में होगी क्योंकि यह समवृत्त छन्द है।
  • इस छन्द में 12, 7 वर्ण के बाद यति होती है।

शार्दूलविक्रीडित छन्द का लक्षण :-

  • वृत्तरत्नाकर में इस छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-

“सूर्याश्वैर्मसजस्तताः सगुरवः शार्दूलविक्रीडितम्”।

वृत्तरत्नाकर

लक्षणार्थ:- जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः ‘मसजसतताः’ अर्थात् मगण, सगण, जगण, सगण, और दो तगण तथा एक गुरू हो उसे शार्दूलविक्रीडित छन्द कहते हैं। और ‘सूर्याश्वै’ सूर्य बारह होते है एवं अश्व सात होते हैं अर्थात् शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में बारहवें एवं सातवें अक्षर के बाद यति होती हैं।


  • छन्दोमंजरी में इस छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-


“सूर्याश्वैर्यदि मः सजौ सततगाः शार्दूलविक्रीडितम्”।

छन्दोमंजरी

लक्षणार्थ:- जिसके प्रत्येक चरण में मगण, सगण, जगण, सगण, और दो तगण और अन्त में एक गुरू हो उसको शार्दूलविक्रीडित छन्द कहते है। इसमें बारहवें एवं सातवें वर्णों पर यति होती है।


शार्दूलविक्रीडित छन्द का उदाहरण :-

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावर दण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देंवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

सरस्वती वंदना

माँ सरस्वती देवी जो श्वेत कुन्द पुष्प, चन्द्रमा एवं हिमकणों के हार के समान गौर वर्ण वाली हैं, शुद्ध श्वेत वस्त्र धारण किये हुए हैं, जिनके हाथों में उत्तम वीणा सुशोभित है, जो श्वेत कमल पर विराजमान हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु महेश(शंकर) जिनकी सदा वंदना करते हैं| हमारी प्रार्थना है कि वे माँ सरस्वती देवी हमारी रक्षा करें एवं हमारी बुद्धि में व्याप्त अज्ञान का पूरी तरह नाश करें।

उदाहरण विश्लेषण :-

  • शार्दूलविक्रीडित छन्द में आने वाले गण एवं उनके चिन्ह :-
    मगण सगण जगण सगण तगण तगण गुरू
    ऽऽऽ ।।ऽ ।ऽ। ।।ऽ ऽऽ। ऽऽ। ऽ
प्रथमपादया कुन्देन्दु तुषारहारधवलाया शुभ्रवस्त्रावृता
गणमगणसगणजगणसगणतगणतगणगुरू
चिन्हऽऽऽ।।ऽ।ऽ।।।ऽऽऽ।ऽऽ।
द्वितीयपादया वीणावर द ण्डमण्डितकराया श्वेतपद्मासना।
चिन्ह/गणऽऽऽ(मगण)।।ऽ(सगण)।ऽ।(जगण)।।ऽ(सगण)ऽऽ।(तगण)ऽऽ।(तगण)ऽ(गुरू)
तृतीयपादया ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देंवै: सदा वन्दिता
चिन्ह/गणऽऽऽ(मगण)।।ऽ(सगण)।ऽ।(जगण)।।ऽ(सगण)ऽऽ।(तगण)ऽऽ।(तगण)ऽ(गुरू)
चतुर्थपादसा मां पातु सरस्वती भगवतीनिःशेषजाड्यापहा॥
चिन्ह/गणऽऽऽ(मगण)।।ऽ(सगण)।ऽ।(जगण)।।ऽ(सगण)ऽऽ।(तगण)ऽऽ।(तगण)ऽ(गुरू)
  • शार्दूलविक्रीडित छन्द में आने वाले वर्ण एवं यति :-
वर्णबारहवें वर्ण के बाद यतिसातवें वर्ण के बाद यति
19या कुन्देन्दु तुषारहार धवलाया शुभ्रवस्त्रावृता
19या वीणावर दण्डमण्डितकराया श्वेतपद्मासना।
19या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देंवै: सदा वन्दिता
19सा मां पातु सरस्वती भगवतीनिःशेषजाड्यापहा॥

अतः इस श्लोक के प्रत्येक चरण में क्रमशः मगण सगण जगण सगण और दो तगण एक गुरू वर्ण हैं इस में बारहवें और सातवें वर्ण के बाद यति हैं अतः इस श्लोक में शार्दूलविक्रीडित छन्द का लक्षण घटित हो रहा है।


यहां भी पढ़ें
  • यह छन्द अतिघृति का कोई भेद हैं।
  • काव्य मार्ग में शार्दूलविक्रीडित अत्यन्त प्रसिद्धतम छन्द हैं संस्कृत जगत में इस छन्द से अगणित श्लोक है।

सामान्य प्रश्न
शार्दूलविक्रीडित छन्द का लक्षण क्या है?

शार्दूलविक्रीडित छन्द का लक्षण “सूर्याश्वैर्मसजस्तताः सगुरवः शार्दूलविक्रीडितम्“।

शार्दूलविक्रीडित छन्द का उदाहरण क्या है?

शार्दूलविक्रीडित छन्द का उदाहरण :-
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावर दण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देंवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में कितने अक्षर होते हैं?

शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में 19 अक्षर है तथा चारों चरणों (श्लोक) में 76 अक्षर होते हैं।

शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में कौन कौन से गण आते है?

शार्दूलविक्रीडित छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश  मगण सगण जगण सगण और दो तगण एक गुरू आते है।

शार्दूलविक्रीडित छन्द में कितनी बार यति आती है 

शार्दूलविक्रीडित छन्द में दो बार यति आती है:- प्रथम बार 12 अक्षर के बाद और अंत में 7 अक्षर के बाद।


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