शालिनी छन्द |  Shalini Chhand

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शालिनी | Shalini

शालिनी छन्द परिचय :-

  • शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में 11 अक्षर है तथा सम्पूर्ण श्लोक में 44 अक्षर है।
  • इस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः एक मगण दो तगण और अन्त में दो गुरू होते हैं (मगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु)।
  • यही व्यवस्था चारों चरणों में होगी क्योंकि यह समवृत्त छन्द है।
  • शालिनी छन्द त्रिष्टुप् का भेद है तथा इस छन्द में चौथे और सातवें वर्ण के बाद यति होती है।

शालिनी छन्द का लक्षण :-

  • केदारभट्टकृत वृत्तरत्नाकर में इस छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-

“शालिन्युक्ता म्तौ तगौ गोखब्धिलोकैः”।

वृत्तरत्नाकर

लक्षणार्थ:- शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में मगण, तगण, तगण तथा दो गुरु वर्ण होते है। अम्बुधि चार होते हैं और लोक सात होते हैं। अतः शालिनी छन्द में चौथे और सातवें वर्ण के बाद यति होती है।


  • गंगादास छन्दोमंजरी में इस छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-

मत्तौ गौ चेच्छालिनी वेदलोकैः

छन्दोमंजरी

लक्षणार्थ:- जिस छन्द के प्रत्येक चरण में एक मगण दो तगण तथा दो गुरुवर्ण आये उसे ‘शालिनी’ छन्द कहते हैं। ‘वेदलोकैः’ से अर्थ है:- वेद चार होते हैं और लोक सात होते हैं। अतः शालिनी छन्द में चौथे और सातवें वर्ण के बाद यति होती है।


शालिनी छन्द का उदाहरण :-

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु
र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥

श्रीराम ही मेरे माता, पिता, स्वामी तथा सखा हैं। दयालु श्रीरामचन्द्र ही मेरे सर्वस्व हैं। इनके अतिरिक्त मैं किसी औरको जानता ही नहीं ।

उदाहरण विश्लेषण :-

  • शालिनी छन्द में आने वाले गण एवं उनके चिन्ह :-
    मगण तगण तगण गुरु गुरु
    ऽऽऽ ऽऽ। ऽऽ। ऽ ऽ
प्रथमपादमाता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
गणमगणतगणतगणगुरु, गुरु
चिन्हऽऽऽऽऽ।ऽऽ।ऽ, ऽ
द्वितीयपादस्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।
चिन्ह/गणऽऽऽ(मगण)ऽऽ।(तगण)ऽऽ।(तगण)ऽ, ऽ(गुरु, गुरु)
तृतीयपादसर्वस्वंमे रामचन्द्रो दयालु
चिन्ह/गणऽऽऽ(मगण)ऽऽ।(तगण)ऽऽ।(तगण)ऽ, ऽ(गुरु, गुरु)
चतुर्थपादर्नान्यं जाने नैव जाने नजाने।
चिन्ह/गणऽऽऽ(मगण)ऽऽ।(तगण)ऽऽ।(तगण)ऽ, ऽ(गुरु, गुरु)
  • शालिनी छन्द में आने वाले वर्ण एवं यति :-
वर्णचौथे वर्ण के बाद यतिसातवें वर्ण के बाद (अन्त में) यति
11माता रामोमत्पिता रामचन्द्रः
11स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।
11सर्वस्वं मेरामचन्द्रो दयालु
11र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥

अतः इस श्लोक के प्रत्येक चरण में ग्यारह वर्ण है। इस श्लोक के प्रत्येक चरण में क्रमश मगण, तगण, तगण और अन्त में दो गुरू है। चतुर्थ एवं सप्तम अक्षर के बाद यति होती है यह लक्षण चारों चरणों में विद्यमान होने से शालिनी का लक्षण घटित होता है।


सामान्य प्रश्न
शालिनी छन्द का लक्षण क्या है?

शालिनी छन्द का लक्षण “मत्तौ गौ चेच्छालिनी वेदलोकैः“।

शालिनी छन्द का उदाहरण क्या है?

शालिनी छन्द का उदाहरण :-
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु
र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥”

शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में कितने अक्षर होते हैं?

शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में 11 अक्षर है तथा चारों चरणों (श्लोक) में 44 अक्षर होते हैं।

शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में कौन कौन से गण आते है?

शालिनी छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश एक मगण दो तगण और अन्त में दो गुरू आते है।

शालिनी छन्द में कितनी बार यति आती है 

शालिनी छन्द में दो बार यति आती है:- प्रथम बार 4 अक्षर के बाद और अंत में 7 अक्षर के बाद।


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