इन्द्रवज्रा | Indravajra
इन्द्रवज्रा छन्द परिचय :-
- इन्द्रवज्रा छन्द के प्रत्येक चरण में 11 अक्षर है तथा सम्पूर्ण श्लोक में 44 अक्षर है।
- इस छन्द के प्रत्येक चरण में दो तगण एक जगण तथा दो गुरु वर्ण होते हैं (तगण,तगण,जगण,गुरु,गुरु)।
- यही व्यवस्था चारों चरणों में होगी क्योंकि यह समवृत्त छन्द है।
- इस छन्द के पाद के अन्त में यति होती है।
इन्द्रवज्रा छन्द का लक्षण :-
- वृत्तरत्नाकर में इस छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-
“स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः”।
वृत्तरत्नाकर
लक्षणार्थ:- इसप्रकार जिस छन्द के प्रत्येक चरण में दो तगण एक जगण तथा दो गुरु वर्ण आयें, उसे ‘इन्द्रवज्रा’ छन्द कहते हैं।
इन्द्रवज्रा छन्द का उदाहरण :-
अर्थो हि कन्या परकीय एव
अभिज्ञान शाकुंतलम्
तामद्य सम्प्रेष्य परिग्रहीतुः।
जातो ममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा॥
उदाहरण विश्लेषण :-
- इन्द्रवज्रा छन्द में आने वाले गण एवं उनके चिन्ह :-
तगण तगण जगण गुरु गुरु
ऽऽ। ऽऽ। ।ऽ। ऽ ऽ
प्रथमपाद | अर्थो हि | कन्या प | रकीय | एव |
गण | तगण | तगण | जगण | गुरु, गुरु |
चिन्ह | ऽऽ। | ऽऽ। | ।ऽ। | ऽ, ऽ |
द्वितीयपाद | तामद्य | सम्प्रेष्य | परिग्र | हीतुः। |
चिन्ह/गण | ऽऽ।(तगण) | ऽऽ।(तगण) | ।ऽ।(जगण) | ऽ, ऽ(गुरु, गुरु) |
तृतीयपाद | जातो म | मायं वि | शदः प्र | कामं |
चिन्ह/गण | ऽऽ।(तगण) | ऽऽ।(तगण) | ।ऽ।(जगण) | ऽ, ऽ(गुरु, गुरु) |
चतुर्थपाद | प्रत्यर्पि | तन्यास | इवान्त | रात्मा॥ |
चिन्ह/गण | ऽऽ।(तगण) | ऽऽ।(तगण) | ।ऽ।(जगण) | ऽ, ऽ(गुरु, गुरु) |
अतः इस श्लोक के प्रत्येक चरण में 11 वर्ण है। इस श्लोक के प्रत्येक चरण में क्रमशः दो तगण एक जगण और दो गुरू है। पाद के अन्त में यति है यह लक्षण चारों चरणों में विद्यमान होने से इन्द्रवज्रा का लक्षण घटित होता है।
यहां भी पढ़ें
- अधिकांश पद्य अनुष्टुप छन्द से रचे गये है इसमें कोई सन्देह नहीं है। अनुष्टुप को छोड़कर अधिकांश पद्य इन्द्रवज्रा छन्द से रचित दिखाई देते हैं। इस छन्द से श्लोक निर्माण अत्यन्त सरल है। और सुनने में भी कानों को मधुरता प्रदान करता हैं अतएव कवियों ने इस छन्द से बहुत अधिक श्लोक की रचना की है।
- यह इन्द्रवज्रा छन्द त्रिष्टुप् छन्द का ही भाग है। इसके प्रत्येक चरण में ग्यारह वर्ण होते है।
- यह समवृत्त छन्द है। क्योंकि इसके चारों पादों में समान अक्षर व लक्षण होते हैं।
सामान्य प्रश्न
इन्द्रवज्रा छन्द का लक्षण “स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः“।
इन्द्रवज्रा छन्द का उदाहरण :-
“अर्थो हि कन्या परकीय एव
तामद्य सम्प्रेष्य परिग्रहीतुः।
जातो ममायं विशदः प्रकामं
प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा॥“
इन्द्रवज्रा छन्द के प्रत्येक चरण में 11 अक्षर है तथा चारों चरणों (श्लोक) में 44 अक्षर होते हैं।
इन्द्रवज्रा छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश दो तगण एक जगण तथा दो गुरु आते है।