द्रुतविलम्बित | Drutvilambit
द्रुतविलम्बित छन्द परिचय :-
- द्रुतविलम्बित छन्द के प्रत्येक चरण में 12 अक्षर है तथा सम्पूर्ण श्लोक में 48 अक्षर है।
- इस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश एक नगण दो भगण और रगण होते हैं (नगण,भगण,भगण,रगण)।
- यही व्यवस्था चारों चरणों में होगी क्योंकि यह समवृत्त छन्द है।
- इस छन्द के पाद के अन्त में यति होती है।
द्रुतविलम्बित छन्द का लक्षण :-
- वृत्तरत्नाकर छन्दोमंजरी में इस छन्द का लक्षण इस प्रकार से प्राप्त होता है:-
“द्रुतविलम्बितमाह नभौ भरौ”।
वृत्तरत्नाकर
लक्षणार्थ:- इसप्रकार जिस छन्द के प्रत्येक चरण में नभौ अर्थात् नगण और भगण उसके बाद भरौ अर्थात् भगण और रगण होते हैं उसे ‘द्रुतविलम्बित’ छन्द कहते हैं।
द्रुतविलम्बित छन्द का उदाहरण :-
श्रुतिसुखभ्रमरस्वनगीतयः
रघुवंश
कुसुमकोमलदन्तरुचो बभुः।
उपवनान्तलताः पवनाहतैः
किसलयैः सलयैरिव पाणिभिः ॥
जब बसंत ऋतु का आरम्भ होता है तब रात्रि छोटी होने लगती है इसका सुंदर वर्णन करते हुए महाकवि कालिदास कहते है कि बसंत ऋतु के आगमन से ह्रास होती हुई तथा चंद्रोदय से पीले मुख (सायंकाल प्रदोष) वाली रात्रि रूपी स्त्री उसी प्रकार छोटी हो गयी जैसे कि अपने प्रिय के समागम से प्राप्त होने वाले सुख को न पाने वाली वनिता कृशता को प्राप्त हो जाती है। अर्थात् बसंत के आगमन से रात छोटी उसी प्रकार होने लगी जैसे कि खण्डिता नायिका प्रिय समागम न होने से सूख जाती है।
उदाहरण विश्लेषण :-
- द्रुतविलम्बित छन्द में आने वाले गण एवं उनके चिन्ह :-
नगण भगण भगण रगण
।।। ऽ।। ऽ।। ऽ।ऽ
प्रथमपाद | श्रुतिसु | खभ्रम | रस्वन | गीतयः |
गण | नगण | भगण | भगण | रगण |
चिन्ह | ।।। | ऽ।। | ऽ।। | ऽ।ऽ |
द्वितीयपाद | कुसुम | कोमल | दन्तरु | चो बभुः। |
चिन्ह/गण | ।।।(नगण) | ऽ।।(भगण) | ऽ।।(भगण) | ऽ।ऽ(रगण) |
तृतीयपाद | उपव | नान्तल | ताः पव | नाहतैः |
चिन्ह/गण | ।।।(नगण) | ऽ।।(भगण) | ऽ।।(भगण) | ऽ।ऽ(रगण) |
चतुर्थपाद | किसल | यैः सल | यैरिव | पाणिभिः। |
चिन्ह/गण | ।।।(नगण) | ऽ।।(भगण) | ऽ।।(भगण) | ऽ।ऽ(रगण) |
अतः इस श्लोक के प्रत्येक चरण में 12 वर्ण है। इस श्लोक के प्रत्येक चरण में क्रमश नगण भगण भगण और रगण है। पाद के अन्त में यति होती है यह लक्षण चारों चरणों में विद्यमान होने से द्रुतविलम्बित का लक्षण घटित होता है।
यहां भी पढ़ें
- संस्कृत साहित्य जगत में द्रुतविलम्बित छन्द अत्यन्त प्रसिद्ध है। कालिदास आदि महाकवियों ने द्रुतविलम्बित छन्द का आश्रय लेकर बहुत से श्लोकों की रचना की।
- यह समवृत्त हैं यह छन्द श्रोताओं के कानों में माधुर्य पैदा करता है।
- अतएव द्रुतविलम्बित वृत्त का दूसरा नाम सुन्दरी है।
सामान्य प्रश्न
द्रुतविलम्बित छन्द का लक्षण “द्रुतविलम्बितमाह नभौ भरौ“।
द्रुतविलम्बित छन्द का उदाहरण :-
“श्रुतिसुखभ्रमरस्वनगीतयः
कुसुमकोमलदन्तरुचो बभुः।
उपवनान्तलताः पवनाहतैः
किसलयैः सलयैरिव पाणिभिः॥“
द्रुतविलम्बित छन्द के प्रत्येक चरण में 12 अक्षर है तथा चारों चरणों (श्लोक) में 48 अक्षर होते हैं।
द्रुतविलम्बित छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश एक नगण दो भगण और एक रगण आते है।