शिव चालीसा इन हिंदी | Shiva chalisa in hindiLyrics & Video

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  • शिव चालीसा में गणपति के पिता एवं गुरु शिव जी के गुणों का वर्णन चौपाइयों द्वारा किया गया है। शिव चालीसा पूरे भारत में प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय है। और लगभग सभी हिंदू शिव चालीसा का नित्य पाठ करते हैं।

शिव चालीसा | Shiva chalisa

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।

कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।

मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।

सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।

या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।

तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।

लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।

पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।

सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद माहि महिमा तुम गाई ।

अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥



प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।

जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।

जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।

कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।

कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।

करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।

येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।

संकट ते मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।

संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।

आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।

जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।

मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।

शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।

सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।

ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई ।

निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।

ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।

अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।

जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥

नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥


  • शिव जी हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। हिन्दू धर्म के मुताबिक वह त्रिदेवों में से एक देव हैं।
  • इन्हें देवों के देव महादेव भोलेनाथ, महेश, रुद्र और नीलकंठ आदि नामों से भी जाना जाता है। इनकी पत्नी का नाम पार्वती है।
  • इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री अशोक सुंदरी हैं।

शिव चालीसा पाठ के लाभ ?

शिव चालीसा पाठ का लाभ वैसे तो प्रतिदिन मिलता ही है। पर इसे शिवरात्रि जैसे विशेष त्योहारों पर भी पढ़ने से लाभ मिलता है। और शिव चालीसा के पाठ से मन को शांति मिलती हैं। किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है आदि।

शिव चालीसा का पाठ कैसे करे ?

शिव चालीसा का पाठ सुबह शाम हाथ पैर धोकर पवित्र मन से अगरबत्ती/धूपबत्ती जलाये; जल भरा हुआ कलश स्थापित करे और कलश का धूप ,दीप, रोली/कुंकु, अक्षत, पुष्प , से पूजन करना चाहिए।

शिव चालीसा किसने लिखी ?

शिव चालीसा शिवपुराण से ली गई है और शिव पुराण के रचयिता महर्षि वेदव्यास। शिव पुराण संस्कृत भाषा में लिखी गई है और इसमें 24,000 श्लोक है।

शिव चालीसा में कितनी चौपाइयां और दोहे हैं ?

शिव चालीसा में 40 चौपाइयां और 3 दोहे है।


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