- हनुमान जी हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उन्हें कुछ विचारों के अनुसार भगवान शिव का अवतार माना गया है। हनुमान जी को बजरंगबली, पवन पुत्र आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है।
- बजरंग बाण में हनुमान जी के गुणों का वर्णन चौपाइयों द्वारा किया गया है। भारत में नियमित रूप से हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का नित्य पाठ किया जाता है। और इस के पाठ से भक्तो के सभी पाप नष्ट हो जाते है।
श्री बजरँग बाण
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान
॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज बिलंब न कीजै आतुर दौरि महा सुख दीजै
जैसे कूदि सिंधु महिपारा सुरसा बदन पैठि बिस्तारा
आगे जाय लंकिनी रोका मारेहु लात गई सुरलोका
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा सीता निरखि परमपद लीन्हा
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा अति आतुर जमकातर तोरा
अक्षय कुमार मारि संहारा लूम लपेटि लंक को जारा
लाह समान लंक जरि गई जय जय धुनि सुरपुर नभ भई
अब बिलंब केहि कारन स्वामी कृपा करहु उर अंतरयामी
जय जय लखन प्रान के दाता आतुर ह्वै दुख करहु निपाता
जै हनुमान जयति बल-सागर सुर-समूह-समरथ भट-नागर
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले बैरिहि मारु बज्र की कीले
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा
जय अंजनि कुमार बलवंता शंकरसुवन बीर हनुमंता
बदन कराल काल-कुल-घालक राम सहाय सदा प्रतिपालक
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की राखु नाथ मरजाद नाम की
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै राम दूत धरु मारु धाइ कै
जय जय जय हनुमंत अगाधा दुख पावत जन केहि अपराधा
पूजा जप तप नेम अचारा नहिं जानत कछु दास तुम्हारा
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं
जनकसुता हरि दास कहावौ ताकी सपथ बिलंब न लावौ
जै जै जै धुनि होत अकासा सुमिरत होय दुसह दुख नासा
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं यहि औसर अब केहि गोहरावौं
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई पायँ परौं, कर जोरि मनाई
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल
अपने जन को तुरत उबारौ सुमिरत होय आनंद हमारौ
यह बजरंग-बाण जेहि मारै ताहि कहौ फिरि कवन उबारै
पाठ करै बजरंग-बाण की हनुमत रक्षा करै प्रान की
यह बजरंग बाण जो जापैं तासों भूत-प्रेत सब कापैं
धूप देय जो जपै हमेसा ताके तन नहिं रहै कलेसा
॥ दोहा ॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान
बजरंग बाण पाठ का लाभ मंगलवार, शनिवार को मिलता ही है पर इसे शनिवार को भी पढ़ने से लाभ मिलता है। बजरंग बाण के प्रतिदिन पाठ से मन को शांति मिलती हैं। किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है आदि। बजरंग बाण का नियमित पाठ करने से आत्म-विश्वास व साहस में वृद्धि होती है।
बजरंग बाण का पाठ वैसे तो प्रतिदिन करना चाहिए फिर भी मंगलवार या शनिवार के दिन स्नान आदि करके पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति यह चित्र स्थापित करें और स्वयं के बैठने के लिए लाल रंग के आसन का प्रयोग करें।
बजरंग बाण तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई है।
बजरंग बाण में 32 चौपाइयां और 2 दोहे है।