श्रीमद् भगवद् गीता षष्ठ अध्याय ध्यानयोग
सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु |
साधुष्वपि च पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते || ९ ||
suhṛin-mitrāryudāsīna-madhyastha-dveṣhya-bandhuṣhu
sādhuṣhvapi cha pāpeṣhu sama-buddhir viśhiṣhyate
Hindi Translation:- सुह्रद्, मित्र, वैरी, उदासीन, मध्यस्थ, द्बेष्य और बन्धु गणों में, धर्मात्माओं में और पापियों में भी समान भाव रखने वाला अत्यन्त श्रेष्ठ है।
English Translation:- One who thinks about and behaves with dear ones, friends, enemies, neutral ones, mediators malicious people, relatives, saints and sinful people, in the same manner, is truly a superior person.
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