श्रीमद् भगवद् गीता षष्ठ अध्याय ध्यानयोग
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् |
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन: || ५ ||
uddhared ātmanātmānaṁ nātmānam avasādayet
ātmaiva hyātmano bandhur ātmaiva ripur ātmanaḥ
Hindi Translation:- अपने द्वारा अपना संसार समुद्र से उद्बार करे और अपने को अधोगति में न डाले ; क्योंकि यह मनुष्य आप ही तो अपना मित्र है और आप ही अपना शत्रु है।
English Translation:- Dear Arjuna, one should lift himself through his own efforts. He success or failure in performing his Karma should be the result of his own doing. Should a man fail, he should not degrade himself, O Arjuna, for he is his own true friend as well as his own true enemy.
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