श्रीमद् भगवद् गीता पंचम अध्याय कर्मसंन्यासयोग
श्रीभगवानुवाच
संन्यास: कर्मयोगश्च नि:श्रेयसकरावुभौ |
तयोस्तु कर्मसंन्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते || २ ||
śhrī bhagavān uvācha
sannyāsaḥ karma-yogaśh cha niḥśhreyasa-karāvubhau
tayos tu karma-sannyāsāt karma-yogo viśhiṣhyate
Hindi Translation:- श्रीभगवान् बोले -: कर्म संन्यास और कर्म योग – ये दोनों ही परम कल्याण के करने वाले हैं, परन्तु उन दोनों में भी संन्यास से कर्म योग साधन में सुगम होने से श्रेष्ठ है।
English Translation:- Oh Arjuna, both the paths of Yoga and Sannyaas lead one to supreme bliss and happiness. However, I shall always regard Yoga as the better path to the attainment of supreme peace and unity with Me, than the path of Sannyaas.
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