श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मन: |
छित्त्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत || ४२ ||
tasmād ajñāna-sambhūtaṁ hṛit-sthaṁ jñānāsinātmanaḥ
chhittvainaṁ sanśhayaṁ yogam ātiṣhṭhottiṣhṭha bhārata
Hindi Translation:- इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन ! तू ह्रदय में स्थित इस अज्ञान जनित अपने संशय का विवेक ज्ञान रूप तलवार द्वारा छेदन करके समत्व रूप कर्मयोग में स्थित हो जा।
English Translation:- Hence, be established in yoga by cutting the ignorance born doubt about the self with the sword of knowledge. Stand up, O Bharata.
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