Bhagavad Gita Chapter 4 Shloka 3 | श्रीमद्भगवद्गीता

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श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग

स एवायं मया तेऽद्य योग: प्रोक्त: पुरातन: |
भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्येतदुत्तमम् || ३
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sa evāyaṁ mayā te ’dya yogaḥ proktaḥ purātanaḥ
bhakto ’si me sakhā cheti rahasyaṁ hyetad uttamam

Hindi Translation:- तू मेरा भक्त्त और प्रिय सखा है, इसलिये वही यह पुरातन योग आज मैंने तुझको कहा है ; क्योंकि यह बड़ा ही उत्तम रहस्य है अर्थात् गुप्त रखने योग्य विषय है।

English Translation:- O Arjuna, I reveal this ancient and most important secret of Yoga unto you because you are My dear devotee and friend.


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