श्रीमद् भगवद् गीता चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे |
स्वाध्यायज्ञानयज्ञाश्च यतय: संशितव्रता: || २८ ||
dravya-yajñās tapo-yajñā yoga-yajñās tathāpare
swādhyāya-jñāna-yajñāśh cha yatayaḥ sanśhita-vratāḥ
Hindi Translation:- कई पुरुष द्रव्य सम्बन्धी यज्ञ करने वाले हैं, कितने ही तपस्या रूप यज्ञ करने वाले हैं, तथा दूसरे कितने ही योगरूप यज्ञ करने वाले हैं, कितने ही अहिंसादि तीक्ष्ण व्रतों से युक्त्त यत्नशील पुरुष स्वाध्याय रूप ज्ञान यज्ञ करने वाले हैं।
English Translation:- Sacrifices come in many forms. Giving away material wealth for charity is a sacrifice. Austerity is a sacrifice. Yoga is a sacrifice. Making vows and promises involve sacrifice. Even self-study is a sacrifice.
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