श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मण: |
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मण: || ८ ||
niyataṁ kuru karma tvaṁ karma jyāyo hyakarmaṇaḥ
śharīra-yātrāpi cha te na prasiddhyed akarmaṇaḥ
Hindi Translation:- तू शास्त्र विहित कर्तव्य कर्म कर ; क्योंकि कर्म न करने की अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करने से तेरा शरीर निर्वाह भी नहीं सिद्भ होगा।
English Translation:- Perform the actions that you have been obliged to perform, or that have been prescribed for you. Action is always better than inaction, If one is inactive, he cannot live, simply because he is not performing the action of maintaining his body.
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