श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेऽर्जुन |
कर्मेन्द्रियै: कर्मयोगमसक्त: स विशिष्यते || ७ ||
yas tvindriyāṇi manasā niyamyārabhate ’rjuna
karmendriyaiḥ karma-yogam asaktaḥ sa viśhiṣhyate
Hindi Translation:- किंतु हे अर्जुन ! जो पुरुष मन से इन्द्रियों को वश में करके अनासक्त्त हुआ समस्त इन्द्रियों द्वारा कर्मयोग का आचरण करता है, वही श्रेष्ठ है।
English Translation:- The Blessed Lord spoke -: O Arjuna, one who has fully learned to control his senses with his mind and practises selfless Karmayoga keeping his senses controlled and not allowing them to interfere and disrupt his action, is truly a great person.
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