श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
श्रेयान्स्वधर्मो विगुण: परधर्मात्स्वनुष्ठितात् |
स्वधर्मे निधनं श्रेय: परधर्मो भयावह: || ३५ ||
śhreyān swa-dharmo viguṇaḥ para-dharmāt sv-anuṣhṭhitāt
swa-dharme nidhanaṁ śhreyaḥ para-dharmo bhayāvahaḥ
Hindi Translation:- अच्छी प्रकार आचरण में लाये हुए दूसरे के धर्म से गुण रहित भी अपना धर्म अति उत्तम है । अपने धर्म में तो मरना भी कल्याण कारक है और दूसरे का धर्म भय को देने वाला है।
English Translation:- One’s own duty (Dharma) is more favourable than the well-established duty of others. To even encounter death, while performing one’s own duties (Dharma), is truly divine. However another person’s duty is filles with menace and fear.
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