Bhagavad Gita Chapter 3 Shloka 31 | श्रीमद्भगवद्गीता

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श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग

ये मे मतमिदं नित्यमनुतिष्ठन्ति मानवा: |
श्रद्धावन्तोऽनसूयन्तो मुच्यन्ते तेऽपि कर्मभि: || ३१ ||

ye me matam idaṁ nityam anutiṣhṭhanti mānavāḥ
śhraddhāvanto ’nasūyanto muchyante te ’pi karmabhiḥ

Hindi Translation:- जो कोई मनुष्य दोष दृष्टि से रहित और श्रद्बा युक्त्त होकर मेरे इस मत का सदा अनुसरण करते हैं, वे भी सम्पूर्ण कर्मों से छुट जाते हैं।

English Translation:- Those wise people, with faith in Me, and those who follow my teaching, are always given freedom from their actions (Karma).


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