श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: |
अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || २७ ||
prakṛiteḥ kriyamāṇāni guṇaiḥ karmāṇi sarvaśhaḥ
ahankāra-vimūḍhātmā kartāham iti manyate
Hindi Translation:- वास्तव में सम्पूर्ण कर्म सब प्रकार से प्रकृति के गुणों द्वारा किये जाते हैं तो भी जिसका अन्त:करण अहंकार से मोहित हो रहा है, ऐसा अज्ञानी ‘मैं कर्ता हूँ’ ऐसा मानता है।
English Translation:- The Blessed Lord Krishna spoke -: O Arjuna, all actions that are performed by beings, are done so by three modes of Prakrithi or three aspects of nature. However, ignorant people claim themselves as the performer of their actions.
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