श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
यज्ञशिष्टाशिन: सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषै: |
भुञ्जते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात् || १३ ||
yajña-śhiṣhṭāśhinaḥ santo muchyante sarva-kilbiṣhaiḥ
bhuñjate te tvaghaṁ pāpā ye pachantyātma-kāraṇāt
Hindi Translation:- यज्ञ से बचे हुए अन्न को खाने वाले श्रेष्ठ पुरुष सब पापों से मुक्त्त हो जाते हैं और जो पापी लोग अपना शरीर-पोषण करने के लिये ही अन्न पकाते हैं, वे तो पाप को ही खाते हैं।
English Translation:- The Blessed Lord Krishna said -: People who eat food after offering it for sacrifice are considered pious, pure, and are freed from all sins. People who prepare food only for themselves commit sins and are impure.
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