श्रीमद् भगवद् गीता तृतीय अध्याय कर्मयोग
सहयज्ञा: प्रजा: सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापति: |
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक् || १० ||
saha-yajñāḥ prajāḥ sṛiṣhṭvā purovācha prajāpatiḥ
anena prasaviṣhyadhvam eṣha vo ’stviṣhṭa-kāma-dhuk
Hindi Translation:- प्रजापति ब्रह्मा ने कल्प के आदि में यज्ञ सहित प्रजाओं को रच कर उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ के द्वारा वृद्बि को प्राप्त होओ और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो।
English Translation:- Brahma has created the universe with the spirit of sacrifice. Brahma, the Creator, said unto mankind, “You shall grow and prosper. Yagya (sacrifice) will bring you all that you wish.”
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