श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
सञ्जय उवाच
एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेश: परन्तप |
न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह || ९ ||
sañjaya uvācha
evam-uktvā hṛiṣhīkeśhaṁ guḍākeśhaḥ parantapa
na yotsya iti govindam uktvā tūṣhṇīṁ babhūva ha
Hindi Translation:- संजय बोले -: हे राजन् ! निद्रा को जीतने वाले अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराज के प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्री गोविन्द भगवान् से ‘युद्ध नहीं करूँगा’ यह स्पष्ट कहकर चुप हो गये।
English Translation:- Sanjaya said -: Dear Dhrtarashtra, my great king, after addressing HRISHIKESHA (Lord of the senses). GUDUKESHA (conqueror of sleep), and PARAMTAPAH (destroyer of all enemies), ARJUN spoke clearly to the great Lord KRISHNA in a determined and assured voice that he would not fight, and then became silent.
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