श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
कार्पण्यदोषोपहतस्वभाव:
पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेता: |
यच्छ्रेय: स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे
शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् || ७ ||
kārpaṇya-doṣhopahata-svabhāvaḥ
pṛichchhāmi tvāṁ dharma-sammūḍha-chetāḥ
yach-chhreyaḥ syānniśhchitaṁ brūhi tanme
śhiṣhyaste ’haṁ śhādhi māṁ tvāṁ prapannam
Hindi Translation:- इसलिये कायरतारूप दोष से उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्म के विषय में मोहित चित्त हुआ मैं आपसे पूछता हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये ; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ, इसलिये आपके शरण हुए मुझको शिक्षा दीजिये।
English Translation:- Arjuna spoke unto the Lord -: Please, Dear Lord, I am your disciple, kindly guide and instruct me, for I have taken refuge and shelter in you. I am confused as to my duties and what is good for me. I beg you to give me knowledge, wisdom and a clear, logical mind.
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