Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 65 | श्रीमद्भगवद्गीता

0
7674
Bhagavad Gita Chapter 2 image

श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग

प्रसादे सर्वदु:खानां हानिरस्योपजायते |
प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धि: पर्यवतिष्ठते || ६५
||

prasāde sarva-duḥkhānāṁ hānir asyopajāyate
prasanna-chetaso hyāśhu buddhiḥ paryavatiṣhṭhate

Hindi Translation:- अन्त:करण की प्रसन्नता होने पर इसके सम्पूर्ण दुःखों का अभाव हो जाता है और उस प्रसन्न चित्त वाले कर्मयोगी की बुद्भि शीघ्र ही सब ओर से हटकर एक परमात्मा में ही भली भाँति स्थिर हो जाती है।

English Translation:- Purity of self gets rid of all miseries and grief. A person with internal purity soon develops steady wisdom and a clear, unclouded intelligence.


Random Posts

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here