श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
न चैतद्विद्म: कतरन्नो गरीयो
यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु: |
यानेव हत्वा न जिजीविषाम
स्तेऽवस्थिता: प्रमुखे धार्तराष्ट्रा: || ६ ||
na chaitadvidmaḥ kataranno garīyo
yadvā jayema yadi vā no jayeyuḥ
yāneva hatvā na jijīviṣhāmas
te ’vasthitāḥ pramukhe dhārtarāṣhṭrāḥ
Hindi Translation:- हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिये युद्ध करना और न करना इन दोनों में से कौन-सा श्रेष्ठ है अथवा यह भी नहीं जानते की उन्हें हम जीतेंगे या हमको वे जीतेंगे । और जिनको मारकर हम जीना भी नहीं चाहते, वे ही हमारे आत्मीय धृतराष्ट्र के पुत्र हमारे मुकाबले में खड़े हैं।
English Translation:- Arjuna continued -: The sons of DHRTARASHTA stand here before us as our opponents and enemies. It is difficult to say which is better: whether they should destroy us or whether we should conquer the. If we choose to slay them, how can we possibly care to live on ?
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