श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला |
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि || ५३ ||
śhruti-vipratipannā te yadā sthāsyati niśhchalā
samādhāv-achalā buddhis tadā yogam avāpsyasi
Hindi Translation:- भांति-भांति के वचनों को सुनने से विचलित हुई तेरी बुद्भि जब परमात्मा में अचल और स्थिर ठहर जायगी, तब तू योग को प्राप्त हो जायगा अर्थात् तेरा परमात्मा से नित्य संयोग हो जायेगा।
English Translation:- Your intellect, O ARJUNA, will then allow you to distinguish between the real and the unreal in life. You will no longer have conflicts about opinions of life’s many aspects and characteristics. You will know what is of importance and of no importance. Finally, you will reach the state where you will have achieved KARMYOGA, a state of long-lasting peace and happiness.
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