श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते |
स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात् || ४० ||
nehābhikrama-nāśho ’sti pratyavāyo na vidyate
svalpam apyasya dharmasya trāyate mahato bhayāt
Hindi Translation:- इस कर्मयोग में आरम्भ का अर्थात् बीज का नाश नहीं है और उल्टा फलरूप दोष भी नहीं है, बल्कि इस कर्मयोग रूप धर्म का थोड़ा-सा भी साधन जन्म मृत्युरूप, महान् भय से रक्षा कर लेता है।
English Translation:- When one practises Yoga, there is no fear of destruction; the person does not suffer a loss of honest effort in whatever he or she attempts. Even by practising a little bit of Yoga, one is protected from great fear ( of death or danger). Peace of mind is slowly obtained.
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