श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च |
तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि || २७ ||
jātasya hi dhruvo mṛityur dhruvaṁ janma mṛitasya cha
tasmād aparihārye ’rthe na tvaṁ śhochitum arhasi
Hindi Translation:- क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे का जन्म निश्चित है । इससे भी इस बिना उपायवाले विषय में तू शोक करने के योग्य नहीं है।
English Translation:- The Lord continued -: Dear ARJUNA, knowing the fact that anything that takes birth will eventually die, it seems pointless to grieve over someone’s death, especially if you knew that the death had to take place anyway.
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