श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम् |
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते || १९ ||
ya enaṁ vetti hantāraṁ yaśh chainaṁ manyate hatam
ubhau tau na vijānīto nāyaṁ hanti na hanyate
Hindi Translation:- जो इस आत्मा को मारने वाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते ; क्योंकि यह आत्मा वास्तव में न तो किसी को मारता है और न किसी के द्वारा मारा जाता है।
English Translation:- O ARJUNA, he who thinks of the Soul as a killer and he who thinks that Soul can be killed, is ignorant, because the Soul can never be killed nor can it kill anyone or anything.
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