श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ |
समदु:खसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते || १५ ||
yaṁ hi na vyathayantyete puruṣhaṁ puruṣharṣhabha
sama-duḥkha-sukhaṁ dhīraṁ so ’mṛitatvāya kalpate
Hindi Translation:- क्योंकि हे पुरुषश्रेष्ठ ! दुःख-सुख को समान समझने वाले जिस धीर पुरुष को ये इन्द्रिय और विषयों के संयोग व्याकुल नहीं करते, वह मोक्ष के योग्य होता है।
English Translation:- Only he who is not affected by these senses and sensual objects becomes immortal, for he is considered the best of men because he is well balanced in pain and pleasure.
Random Posts
- 100+ Sanskrit Shloks with meaning | संस्कृत श्लोकSanskrit Shlokas आज हम आपके लिए संस्कृत श्लोक हिंदी और इंग्लिश अर्थ के साथ लाये… Read more: 100+ Sanskrit Shloks with meaning | संस्कृत श्लोक
- 15 Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit | गीता श्लोकBhagavad gita | भगवद गीता अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः । अनिच्छन्नपि वाष्र्णेय बलादिव… Read more: 15 Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit | गीता श्लोक
- 50+ sanskrit shloks with meaning, प्रेरणादायक संस्कृत श्लोकSanskrit Shlok उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशंति मुखे मृगाः। Hindi… Read more: 50+ sanskrit shloks with meaning, प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक