श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदु: खदा: |
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत || १४ ||
mātrā-sparśhās tu kaunteya śhītoṣhṇa-sukha-duḥkha-dāḥ
āgamāpāyino ’nityās tans-titikṣhasva bhārata
Hindi Translation:- हे कुन्तीपुत्र ! सर्दी, गर्मी और सुख-दुःख को देने वाले इन्द्रिय और विषयों के संयोग तो उत्पत्ति-विनाशशील और अनित्य हैं, इसलिये हे भारत तू उनको सहन कर।
English Translation:- The Blessed Lord continued -: O son of KUNTI (Arjuna), when the senses come in contact with their sensual objects, feelings of heat, cold, pain and pleasure. These feelings last only for a short time; they will come and go. Bear them patiently dear ARJUNA.
Random Posts
- 100+ Sanskrit Shloks with meaning | संस्कृत श्लोकSanskrit Shlokas आज हम आपके लिए संस्कृत श्लोक हिंदी और इंग्लिश अर्थ के साथ लाये… Read more: 100+ Sanskrit Shloks with meaning | संस्कृत श्लोक
- 15 Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit | गीता श्लोकBhagavad gita | भगवद गीता अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुषः । अनिच्छन्नपि वाष्र्णेय बलादिव… Read more: 15 Bhagavad Gita Quotes in Sanskrit | गीता श्लोक
- 50+ sanskrit shloks with meaning, प्रेरणादायक संस्कृत श्लोकSanskrit Shlok उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशंति मुखे मृगाः। Hindi… Read more: 50+ sanskrit shloks with meaning, प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक