श्रीमद् भगवद् गीता द्वितीय अध्याय सांख्ययोग
देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा |
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति || १३ ||
dehino ’smin yathā dehe kaumāraṁ yauvanaṁ jarā
tathā dehāntara-prāptir dhīras tatra na muhyati
Hindi Translation:- जैसे जीवात्मा इस देह में बालकपन, जवानी और वृद्बावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है ; उस विषय में धीर पुरुष मोहित नही होता।
English Translation:- Lord Krishna continued -: Dear ARJUNA, the wise never get confused by the fact that the ATMA or Soul goes through the stages of childhood, youth and old age along with the body. When one body ceases to function, the soul passes on to another body. The cycle is then repeated once more.
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