श्रीमद् भगवद् गीता प्रथम अध्याय अर्जुनविषादयोग
अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रिय: |
स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्कर: || ४१ ||
adharmābhibhavāt kṛiṣhṇa praduṣhyanti kula-striyaḥ
strīṣhu duṣhṭāsu vārṣhṇeya jāyate varṇa-saṅkaraḥ
Hindi Translation:- हे कृष्ण ! पाप के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रियां अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पन्न होता है।
English Translation:- O KRISHNA, with the growth of evil in a family, the family women, become impure and evil, and sinning with those of other castes would follow.
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